अर्थव्यवस्था में मंदी के बावजूद वर्ष 2007-08 के कर जमा के जो आंकड़े आ रहे हैं वह लक्ष्य से कहीं बेहतर है।
पिछले वित्तीय वर्ष के 3,67,719 करोड रुपये के कर जमा की तुलना में चालू वित्तीय वर्ष में 26.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस बार कुल कर जमा 4,66,163 करोड़ रुपये हो गया है।
चालू वित्तीय वर्ष में बजटीय अनुमान के मुताबिक वर्ष 2007-08 के लिए वृद्धि दर भी अधिक रहा। इस बार बजट में 5,85,410 करोड रुपये के जमा का अनुमान है। सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2007-08 के लिए कर राजस्व जमा 5,86,000 से 5,95,000 करोड रुपये रहने की उम्मीद है।
संशोधित अनुमानित कर राजस्व जमा को प्राप्त करने के लिए मार्च में 1,19,247 करोड रुपये की उगाही करनी होगी। वृद्धि की प्रवृत्ति को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि इस अनुमानित लक्ष्य को पा लिया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक मार्च में प्रत्यक्ष कर के मद में 80,000 करोड रुपये के जमा होने की उम्मीद है और कम से कम 40,000-50,000 करोड रुपये अप्रत्यक्ष कर के मद में जमा होने की संभावना है। दरअसल अप्रत्यक्ष कर के मद में इतने जमा होने के पीछे सेवा कर और उत्पाद शुल्क में हो रही जोरदार वसूली को माना जा रहा है।
उत्पाद शुल्क जमा में थोड़ी सी सुस्ती दिखाई दे रही है और इसमें वृद्धि दर मात्र 6 प्रतिशत ही हो रही है। जबकि बजट 2007-08 में अनुमानित वृद्धि 8.7 प्रतिशत की दर से 1,27,947 करोड रुपये उत्पाद शुल्क के जमा का लक्ष्य रखा गया है।
बहुत सारे सामानों पर आयात शुल्क हटाने के बाद और मुद्रास्फी ति में बढोतरी के बावजूद उत्पादन शुल्क की जबर्दस्त वसूली की गई। ऐसा इसलिए संभव हो सका क्योंकि कम दर की वजह आयात काफी प्रोत्साहित हुआ। वर्ष 2007-08 के पहले 11 महीने में सीमा शुल्क जमा में 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। प्रत्यक्ष कर जमा में उछाल का दौर जारी है।
निगम कर में भी 37 प्रतिशत की वृद्धि हुई है , जबकि आयकर में 42 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। बेहतरीन कर जमाओं की वजह से वर्ष 2007-08 में राजस्व घाटे और वित्तीय घाटे की स्थिति में भी सुधार आया है। अप्रैल-फरवरी 2007-08 में वित्तीय घाटा 73.4 प्रतिशत रहा, जो इसी अवधि में पिछले साल 80 प्रतिशत के करीब था। इसी प्रकार राजस्व घाटे में भी सुधार आया है। यह पिछले साल इसी अवधि के लिए 98.8 प्रतिशत था जो घटकर 86.6 प्रतिशत रह गया है।