अप्रैल में चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 24) की मजबूत शुरुआत हुई है। वित्त मंत्रालय ने ताजा मासिक आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट में सोमवार को कहा कि ज्यादातर वृहद आर्थिक आंकड़ों में संकेत मिलते हैं। मंत्रालय ने कहा है कि निजी क्षेत्र के निवेश में सुधार के मजबूत संकेत मिल रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एक अच्छी शुरुआत सकारात्मक परिणाम की दिशा मे अहम भूमिका निभाती है। पहले के वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में गतिविधियां मजबूत रहीं और इसके साथ वित्त वर्ष 24 की शानदार शुरुआत हुई है। नए वित्त वर्ष के पहले महीने में पहली तिमही की वृद्धि की गति जारी रही है।’ इसमें कहा गया है कि हवाई जहाज से यात्रा करने वालों की संख्या महामारी के पहले के स्तर को पार कर गई है और वस्तु एवं सेवा कर संग्रह भी तेज बना हुआ है।
इसमें कहा गया है, ‘अप्रैल 2023 में विनिर्माण पीएमआई 4 महीने के उच्च स्तर पर था, जबकि सेवा पीएमआई इस महीने में 13 साल में सबसे ज्यादा बढ़ा है।’
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘गतिविधियों में सतत वृद्धि बने रहने, क्षमता उपयोग में वृद्धि की वजह से निवेश को बल मिल रहा है और कॉर्पोरेट ने नई क्षमता के लिए निवेश शुरू कर दिया है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही के दौरान 60,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं पूरी होने और 10.9 लाख करोड़ रुपये की नई परियोजनाओं की घोषणा हुई।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र की स्थिति भी वित्त वर्ष 24 में बेहतर नजर आ रही है। मॉनसून सामान्य रहने का अनुमान है, साथ ही जलाशयों का स्तर बेहतर है। बीज और खाद की पर्याप्त उपलब्धता है और ट्रैक्टरों की बिक्री भी तेज है। इससे पता चलता है कि जून 2023 से शुरू खरीफ के बुआई सत्र में तेजी है।
खरीफ सत्र बेहतर रहने, फसलों के उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और सरकार द्वारा खर्च बढ़ाने की वजह से ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आमदनी को बल मिलेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक मांग कम होने के कारण विभिन्न देशों में जिंसों की महंगाई का दबाव घट रहा है। साथ ही आपूर्ति श्रृंखला सुधर रही है।
हालांकि रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है, ‘कीमत अभी महंगाई के पहले के स्तर पर बनी हुई है और भू राजनीतिक तनाब बढ़ने के कारण अगर तेल की आपूर्ति उम्मीद से ज्यादा प्रतिबंधित रहती है तो ऐसी स्थिति बनी रह सकती है। साथ ही मौसम की स्थिति प्रतिकूल रहने पर भी विपरीत असर पड़ सकता है।’
अप्रैल महीने में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई दर अवस्फीति के क्षेत्र में चली गई है और यह 34 माह के निचले स्तर -0.92 प्रतिशत पर है, जो मार्च में 1.34 प्रतिशत थी। आधार के ज्यादा असर और विनिर्मित उत्पाद की कीमत में लगातार गिरावट के कारण ऐसा हुआ है।
बहरहाल अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 18 माह के निचले स्तर पर है, क्योंकि ज्यादा आधार का असर भी रहा है और सभी श्रेणियों में कीमत का दबाव भी कम हुआ है।