अर्थव्यवस्था

रीपो रेट पर फिलहाल विराम, मगर महंगाई के ​खिलाफ जंग रहेगी जारी

Published by
मनोजित साहा
Last Updated- April 06, 2023 | 11:53 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने सर्वसम्मति से नीतिगत रीपो दर को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है। मगर समिति ने यह मानने से इनकार किया है कि दर में वृद्धि का चक्र चरम पर है।

आरबीआई का यह निर्णय अचं​भित करने वाला है क्योंकि बाजार जनवरी और फरवरी के दौरान उपभोक्त मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 6 फीसदी से ऊपर रहने के बाद से रीपो दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि की उम्मीद कर रहा था। बाजार का मानना था कि मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक की ऊपरी सहन सीमा के पार बरकरार है और उसे नियंत्रित करने के लिए रीपो दर में वृद्धि की जा सकती है।

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर श​क्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति के निर्णय की घोषणा करते हुए कहा, ‘इस बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि नीतिगत रीपो दर को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा जाए। यदि ​स्थित खराब हुई तो हम पहल करने के लिए तैयार रहेंगे।’ बाद में उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘यह महज विराम है न कि समा​प्ति।’

भले ही दुनिया के अन्य केंद्रीय बैंक अपनी मौद्रिक नीति को लगातार सख्त कर रहे हों लेकिन भारत के केंद्रीय बैंक ने अभी केवल विराम का बटन दबाया है। बाजार का एक बड़ा तबका रीपो दर में वृद्धि के बाद लंबे ठहराव की उम्मीद कर रहा था।

बाहरी सदस्य जयंत वर्मा को छोड़कर मौद्रिक नीति समिति के अन्य सभी सदस्यों ने दर वृद्धि न करने के पक्ष में मतदान किया।

दास ने कहा कि चूंकि मुद्रास्फीति लक्ष्य से ऊपर है और इसके मौजूदा स्तर को देखते हुए मौजूदा नीतिगत दर को अभी भी उदार माना जा सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान के बावजूद भी मुद्रास्फीति पर आरबीआई की नजर बरकरार रहेगी।

वित्त वर्ष 2024 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति का अनुमान अब 5.2 फीसदी है जो कच्चे तेल (इंडियन बास्केट) की वार्षिक औसत कीमत 85 डॉलर प्रति बैरल मानते हुए 5.3 फीसदी से कम है। वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी वृद्धि अनुमान पहले के 6.4 फीसदी के मुकाबले 6.5 फीसदी है। दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2023 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7 फीसदी दर्ज की गई है जो भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाती है।

दास ने कहा, ‘हमारा काम अभी खत्म नहीं हुआ है और मुद्रास्फीति के खिलाफ युद्ध तब तक जारी रहना चाहिए जब तक हम लक्ष्य के करीब मुद्रास्फीति में टिकाऊ गिरावट नहीं देखते। हम उचित समय पर कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं। हमें विश्वास है कि हम मध्याव​धि में मुद्रास्फीति को लक्षित दर तक नीचे लाने के लिए सही राह पर अग्रसर हैं।’

हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि अब एक लंबा विराम हो सकता है। एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा, ‘आगे चलकर आरबीआई तरलता की स्थिति को सख्त करते हुए वित्त वर्ष 2024 में लंबे समय तक विराम लगा सकता है। इसलिए आने वाले महीनों में अल्पकालिक दरें दबाव में रह सकती हैं।’

First Published : April 6, 2023 | 11:23 PM IST