एक ओर जहां विद्युत उत्पादन जीवाश्म ईंधनों से धीरे धीरे दूरी बना रहा है वहीं विद्युत वितरण का दूसरा छोर अभी भी परंपरागत मुद्दों में उलझा है। और भारतीय विद्युत प्रणाली को एक नेट जीरो भविष्य की तैयारी करनी है। विद्युत मंत्रालय में सचिव आलोक कुमार ने श्रेया जय के साथ बातचीत में कहा कि सुधारों के लिए छलांग लगाने का यही सही समय है। उन्होंने बताया कि मंत्रालय किस प्रकार से अच्छे के लिए पुरस्कार और खराब के लिए दंड योजना के जरिये वितरण सुधारों को आगे बढ़ा रहा है। साथ ही मंत्रालय विद्युत उपलब्धता की निगरानी, विद्युत आपूर्ति को हरित बनाने और विद्युत बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए अगले चरण की योजना बना रहा है। पेश हैं मुख्य अंश:
पिछले बजट में घोषित 3 लाख करोड़ रुपये की डिस्कॉम सुधार योजना की क्या स्थिति है?
जुलाई में हमने दिशानिर्देश अधिसूचित किया था। उसके बाद से 52 विद्युत डिस्कॉम ने अपनी कार्ययोजनाएं जमा कराई है। पिछले हफ्ते पहली समीक्षा में हमने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, असम और मेघालय से आठ डिस्कॉम की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) और कार्य योजनाओं पर विचार किया। यह एक चालू रहने वाली प्रक्रिया होगी। अगले दो महीनों में अधिकांश राज्य अपनी डीपीआर पर चर्चा करेंगे और उसे मंजूरी देंगे।
हम उनकी डीपीआर को मंजूरी देंगे जो कि उनके अनुमानित परिव्यय का 50 फीसदी होगा और 5 फीसदी उन्हें अग्रिम रकम देंगे। उनका अगला आकलन अक्टूबर-नवंबर में किया जाएगा और उनकी परियोजनाओं और निविदाओं के आधार पर शेष डीपीआर को मंजूरी देंगे और उन्हें आगे की रकम देंगे।
मंत्रालय डिस्कॉम को अनुदान किन प्राथमिकताओं के आधार पर दे रहा है?
हमारी प्राथमिकता घाटे को कम करने की होगी। हमने राज्यों से कहा है कि 50 फीसदी डीपीआर का पहला हिस्सा लोड कटौती निवेश के लिए होना चाहिए जैसे कि एरियल बंच केबलिंग, फीडर पृथक्करण, स्मार्ट मीटरिंग आदि। गुजरात जैसे जिन राज्यों में पहले ही घाटा कम है वे प्रणाली आधुनिकीकरण और स्वचालन में परियोजनाएं ला सकते हैं।
डिस्कॉम के परिचालनों में सुधार के लिए निजी भागीदारी को बढ़ाने के लिए आप राज्यों को कैसे तैयार करेंगे?
केंद्र शाशित प्रदेशों में डिस्कॉम के निजीकरण के संबंध में अंतिम मंजूरी दादर और नगर हवेली तथा चंडीगढ़ के लिए प्राप्त हुई है। अन्य मंजूरी के विभिन्न चरणों में हैं। इस बीच हम स्मार्ट मीटरिंग प्लस के लिए मानक बोली दस्तावेज (एसबीडी) भी तैयार कर रहे हैं। यह भीलवाड़ा के विद्युत वितरण फ्रैंचाइज मॉडल की तर्ज पर होगा। राजस्व संग्रह का दायित्व स्मार्ट मीटर परिचालकों पर भी होगी। हमें विश्व बैंक से 50 करोड़ डॉलर की सहायता की पेशकश मिली है और हमने उन्हें सुझाव दिया है कि यह रकम उन राज्यों को दिया जाए जो क्षमता सुधार की पहल करना चाह रहे हैं। ऐसे रज्यों के लिए दूसरा रास्ता विशेष उद्देश्य की कंपनी हो सकती है।
500 गीगावॉट की अक्षय ऊर्जा को मजबूती देने के लिए खासकर राज्यों में पारेषण और वितरण बुनियादी ढांचा को मजबूत करने की क्या योजना है?
राज्य 3 लाख करोड़ रुपये की सुधार योजना में भागीदारी कर उप-पारेषण और वितरण बुनियादी ढांचे को तैयार करने के लिए रकम हासिल कर सकते हैं। इसके अलावा उनके पास अपनी एसजीडीपी का 0.5 फीसदी अतिरिक्त कर्ज लेने का भी विकल्प खुला है।
केंद्र बाधारहित आपूर्ति को सुनिश्चित करने और इसकी निगरानी की योजना किस प्रकार से तैयार कर रहा है?
ग्रामीण इलाकों में बिजली की उपलब्धता 20 से 22 घंटे तक पहुंच चुकी है जो पहले 12 घंटे थी और शहरी इलाकों में यह 22 से 23.5 घंटे तक है। हम नैशनल फीडर मॉनिटरिंग स्कीम नाम से एक योजना तैयार कर रहे हैं। इसके तहत लक्ष्य है कि वित्त वर्ष 2023 तक ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों के लगभग सभी 11 केवी के फीडरों की निगरानी राष्ट्रीय स्तर पर की जाएगी।
राजकोषीय समर्थन योजना के बावजूद डिस्कॉम का बकाया फिर से बढऩे लगा है। फिलहाहल यह 1 लाख करोड़ रु. है। इसके समाधान के लिए क्या उपाय हो रहे हैं?
यदि डिस्कॉम अपने उपभोक्ताओं को विश्वसनीय बिजली प्रदान करने के प्रति गंभीर है तो उन्हें वाणिज्यिक सिद्घांतों और वित्तीय व्यावहारिकता को बनाकर चलना चाहिए। यदि कुछ राज्य ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें परिणाम भुगतने होंगे। उन्हें कम बिजली मिलेगी जिससे औद्योगिक निवेश प्रभावित होगा। राजकोषीय मोर्चे पर पीएफसी और आरईसी द्वारा विवेकपूर्ण उधारी मानदंड लागू किए जा रहे हैं। हम बैंकों को लिख चुके हैं और वे भी बोर्ड में हैं।
बिजली बिल को लेकर क्या स्थिति है?
वितरण खंड में स्थिति चिंताजनक है। देश को घाटे में तत्काल कमी करने की जरूरत को समझना होगा और सुधारों को आगे बढ़ाना होगा। मंत्रालय ने इसको लेकर कई बार परामर्श किया है और एक प्रस्ताव तैयार करेगा। लेकिन हम कानून का इंतजार नहीं कर रहे, हम कई योजनाओं के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
बिजली क्षेत्र को केंद्रीय बजट से क्या उम्मीदें हैं?
हमने वित्त मंत्रालय के साथ चर्चा की है और हम देश में ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव के संबंध में कुछ घोषणाओं की आशा कर रहे हैं।