Sharat Chandra, CEO, Shirdi Sai Electricals Limited Group (SSEL Group)
देश में उच्च क्षमता वाले सौर उपकरणों की उत्पादन से जुड़़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना के प्रथम विजेता को समन्वित सौर विनिर्माण सुविधा की स्थापना में भूमि और मानव संसाधन जुटाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। शिरडी साईं इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (एसएसईएल) के सीईओ शरत चंद्र ने पीएलआई योजना हासिल करने के बाद पहली बार खुलासा किया कि समन्वित सौर उपकरण विनिर्माता संयंत्र ( solar equipment manufacturing plant) की स्थापित करने में देरी हो रही है। इसका कारण यह है कि वे संबंधित तकनीक और मानव संसाधन का चीन से आयात नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा किसी भी राज्य के साथ भूमि समझौता करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
शिरडी साईं इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (एसएसईएल) ने इंडोसोल सोलर प्राइवेट लिमिटेड (आईएसपीएल) एसपीवी की स्थापना की है जो तेलंगाना में बिजली के उपकरण बनाने वाली कंपनी है। सौर पीएलआई के प्रथम चरण के अंतर्गत एसएसईएल को 4 गीगावॉट के मॉड्यूल का निर्माण करना है।
पीएलआई के दूसरे चरण में इंडोसोल सोलर को 10 गीगावॉट की ‘पॉलीसिलिकॉन-वेफर-सेल-मॉड्यूल’ (पीडब्ल्यूसीएम) का निर्माण करना है। इंडोसोल दोनों ही परियोजनाओं पर कार्य कर रही है। शरत चंद्र ने बताया कि इंडोसोल सोलर ने सोलर मॉड्यूल विनिर्माण की 0.5 गीगावॉट का संचालन शुरू कर दिया है। लेकिन दूसरा चरण असलियत में चुनौतीपूर्ण है।
शरत चंद्र ने नई दिल्ली में बिज़नेस स्टैंडर्ड को दिए साक्षात्कार में बताया, ‘इनगोट (प्रमुख बुनियादी उपकरण) से लेकर मॉड्यूल तक के लिए चीन की मशीनरी पर आश्रित होना पड़ रहा है। इसकी वजह ये है कि इन्हें जर्मनी के निर्माता भी नहीं बना रहे हैं। इनका कोरिया और जापान निर्माण करते हैं लेकिन हमारी मांग गीगावॉट में होने के कारण वहां से बड़े पैमाने पर नहीं मिल सकते। इसलिए हम चीन की ओर जाने के लिए बाध्य हैं।’
भारत सरकार ने चीन के नागरिकों को वीजा जारी करने पर अंकुश लगा दिए हैं और असाधारण मामलों में मंजूरी की जरूरत होती है। वेंडर समझौते के जरिये तकनीक के स्थानांतरण के लिए अतिरिक्त मंजूरियों की जरूरत होती है।