भारत अपने प्रवासी कामगारों के हितों की सुरक्षा के लिए सामाजिक सुरक्षा समझौते पर अमेरिका के साथ बातचीत जारी रखेगा। अमेरिका की 30 सितंबर से 4 अक्टूबर तक पांच दिनों की यात्रा पर गए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत ने इस समझौते का प्रस्ताव रखा था लेकिन इस मुद्दे को दशकों पहले ही सुलझा लिया जाना चाहिए था।
गोयल ने वॉशिंगटन डीसी में संवाददाताओं से कहा, ‘जब संख्या कम थी और इसके असर का प्रबंधन करना आसान था। गुजरते वक्त के साथ भारत में कई सरकारों ने इसे नजरअंदाज किया था। ‘अब (अमेरिकी) वित्त विभाग द्वारा जमा की गई रकम का दायरा इतना बड़ा है कि किसी भी सरकार के लिए यह एक बड़ा निर्णय होगा।’
हालांकि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार 2014 में सत्ता में आई तब भारत ने इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ वार्ता की। गोयल ने कहा, ‘यह विषय बहुत लंबे समय से उलझा हुआ है और तुरंत हल नहीं होने वाला है। इसलिए हम अमेरिका के साथ बातचीत जारी रखेंगे। इसमें समय लगेगा।’
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की सरकार ने भारत में सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों के बारे में जानने के लिए एक विस्तृत प्रश्नावली भेजी थी, जिनका जवाब दे दिया गया है। मंत्री के मुताबिक अमेरिका के साथ सामाजिक सुरक्षा कवरेज का ब्योरा साझा किया है जिसके मुताबिक भारत में इसके दायरे में लगभग 93 करोड़ लोग आते हैं।
अगर इस सामाजिक सुरक्षा समझौते (टोटलाइजेशन) पर सहमति बनती है तब इससे यह बात सुनिश्चित होगी कि कामगारों को सामाजिक सुरक्षा से जुड़े योगदान, दोनों देशों में करने की जरूरत न पड़े।
अगर कोई कामगार भारत जाना चाहता है तब इस समझौते के तहत उसे विदेश में जमा किए गए योगदान को भारत भेजने में मदद मिल सकती है। ये योगदान आमतौर पर बीमा या पेंशन के रूप में होते हैं। उद्योग के अनुमान के मुताबिक अमेरिका में भारतीय कंपनियों को सामाजिक सुरक्षा योगदान में 4 अरब डॉलर का घाटा होता है।
गोयल का कहना है कि इस मुद्दे को मंत्रियों की बैठक में उठाया गया था लेकिन यह मुद्दा एजेंडे में नहीं था और नई कांग्रेस के गठन के बाद इसे फिर कभी उठाया जाएगा। गोयल की यात्रा के दौरान गोयल और अमेरिकी वाणिज्य मंत्री जीना रायमोंडो ने गुरुवार को छठी वाणिज्यिक वार्ता की थी।
दोनों मंत्रियों ने बैठक में सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला, नवाचार के क्षेत्र में गठजोड़, ऊर्जा-उद्योग तंत्र और समृद्धि के लिए हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचे में हुई प्रगति की समीक्षा की। दोनों ने महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखला के विस्तार और विविधता के लिए एक नए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।