आगामी लोकसभा चुनाव से पहले संशोधित विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) कानून के आने की उम्मीद नहीं है। यह जानकारी इस मामले के दो जानकार लोगों ने दी।
वाणिज्य मंत्रालय ने बीते वर्ष के अंत में एसईजेड अधिनियम, 2005 में संशोधन के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मांगी थी। इस क्रम में संसद के शीतकालीन सत्र में विधेयक पेश करने की योजना थी। हालांकि अभी तक इस मामले में मंत्रिमंडल की मंजूरी लंबित है।
इस मामले के एक जानकार व्यक्ति ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘लोकसभा चुनाव (जो कुछ हफ्ते दूर है) के बाद ही एसईजेड कानून में बदलाव संभव हो पाएगा। चुनाव के बाद सत्ता संभालने वाली नई सरकार की प्राथमिकताओं पर ही एसईजेड कानून में बदलाव का सही समय निर्भर करेगा।’
वाणिज्य मंत्रालय ने एसईजेड (संशोधन) विधेयक तैयार किया था। दरअसल, सरकार का यह विश्वास था कि संशोधन के बाद नया ढांचा तैयार करने में मदद मिलेगी।
कयास यह है कि बदलाव से वैश्विक व्यापार के नए ढांचे के अनुरूप, वैश्विक आधारभूत संरचना के अनुकूल औद्योगिक पार्क बनाने और विनिर्माण में निवेश को आकर्षित करने में मदद मिलेगी। इस क्रम में एसईजेड और घरेलू बाजार – शेष देश- से सहजता से समन्वय स्थापित करने की योजना था ताकि विशेष आर्थिक क्षेत्र की कंपनियों को मार्केट की पहुंच में प्रतिबंध के कारण नुकसान नहीं हो। भारत के कुल निर्यात में एसईजेड की करीब 20 फीसदी हिस्सेदारी है।
सरकार का मानना है कि एसईजेड का प्रदर्शन आशा के अनुकूल नहीं है। एसईजेड विनिर्माण क्षेत्र के लिए निवेश को आकर्षित नहीं कर पाए हैं। इसका कारण यह है कि एसईजेड में केवल निर्यात पर ही ध्यान केंद्रित किए जाने के कारण इसका घरेलू बाजार में समुचित कारोबार शुरू नहीं हो पाया। इसके अलावा कुछ समय बाद आयकर में छूट की समाप्ति वाले प्रावधान का भी असर पड़ा। इन कारणों से केंद्र हालिया कानून का बदलने का प्रयास कर रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022 के बजट में घोषणा की थी कि नए कानून उद्यमिता विकास और सेवा केंद्र (डीईएसएच) विधेयक से एसईजेड अधिनियम को बदला जाएगा।