सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में जून में लगातार तीसरे महीने गिरावट आई है। इसकी वजह घरेलू मांग में कमी, निर्यात ऑर्डर कमजोर रहना है। आज जारी मासिक सर्वे से पता चलता है कि देशव्यापी लॉकडाउन के बाद सेवा क्षेत्र में तेज गिरावट बनी हुई है।
आईएचएस मार्किट सर्विज बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स (सर्विसेज पीएमआई) में संकुचन बरकरार है। हालांकि यह जून में बढ़कर 33.7 पर पहुंच गया है, जो मई के 12.6 और अप्रैल के 5.6 की तुलना में बेहतर है। पीएमआई अगर 50 से ऊपर है तो प्रसार और इससे नीचे संकुचन को दिखाता है।
कारोबारी गतिविधियों की बंदी बढ़ाए जाने और मांग कमजोर रहने के कारण जून महीने में उत्पादन घटा है। हालांकि गिरावट पहले की तुलना में कम हुई है, लेकिन यह बहुत ज्यादा स्तर पर बनी हुई है क्योंकि कोविड-19 महामारी की वजह से नए काम कम हो गए हैं और कारोबारी गतिविधियों में व्यवधान पैदा हुआ है।
सर्वे में कहा गया है, ‘गिरावट की रफ्तार कम होना संकेत देता है कि गतिविधियों के स्तर पर कुछ स्थिरता आई है। करीब 59 प्रतिशत फर्मों ने कहा है कि मई की तुलना में आउटपुट में कोई बदलाव नहीं हुआ है। बहरहाल सिर्फ 4 प्रतिशत ने वृद्धि दर्ज की है, जबकि 37 प्रतिशत फर्मों का कारोबार गिरा है।’
जून महीने में नए ऑर्डर तेजी से गिरे हैं, जिसके बारे में फर्मों का कहना है कि खपत की आदत घटी है और प्रमुख ग्राहकोंं की जरूरतें कम हुई हैं। सर्वे में कहा गया है कि कुछ मामलों में ग्राहकों ने अपना कारोबार विपरीत माहौल के कारण बंद रखा है। घरेलू मांग जहां कमजोर बनी हुई है, निर्यात ऑर्डर में भी गिरावट जारी है। यात्रा संबंधी पाबंदियों के कारण विदेश से ऑर्डर प्रभावित हुए हैं।
इसके परिणामस्वरूप छंटनी जारी है और यह हर क्षेत्र में बहुत तेजी से हो रही है। कारोबार की जरूरतें कम होना नौकरियां जाने की प्रमुख वजह है, हालांकि सर्वे में कुछ कंपनियों ने कर्मचारियों की कमी की भी बात कही है।
लॉकडाउन के पहले विशेषज्ञों को सेवा क्षेत्र से ज्यादा उम्मीद थी, जो फरवरी में 85 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया था। विदेशी बाजारों से मांग बढऩे से स्थिर वृद्धि की स्थिति बन रही थी। वहीं इस दौरान नौकरियों में वृद्धि हाल के महीनों मेंं स्थिर रही है फरवरी महीने के दौरान नौकरियों का सृजन 3 महीने के निचले स्तर पर था।
हाल के महीने में क्षमता बनाने के लेकर भी दबाव के संकेज मिले हैं। कुल मिलाकर गतिविधियों में गिरावट जारी रहने के बावजूद जून में आउटस्टैंडिंग कॉन्ट्रैक्ट बढ़े हैं।
जून महीने में गिरावट जारी है, ऐसे में सर्वे में शामिल कंपनियों ने अगले 12 महीने के बारे में बहुत निराशाजनक परिदृश्श्य बताया है। कारोबारी भरोसा निचले स्तर पर है और इस साल आगामी महीनों में गतिविधियों के स्तर पर मजबूत नकारात्मक उम्मीदें हैं। इससे मंदी का जोखिम बढ़ता नजर आ रहा है।
आखिर मेंं कीमतों के आंकड़े से पता चलता है कि इनपुट लागत और आउटपुट शुल्क दोनों में अवस्फीति की स्थिति है। जून महीने में आने वाले खर्च का लाभ ग्राहकों को दिया गया है।
इस सप्ताह की शुरुआत में इसी तरह के सर्वे में पता चला था कि विनिर्माण गतिविधियों में लगातार तीसरे महीने जून में संकुचन बना हुआ है। इसकी प्रमुख वजह क्षेत्रीय लॉकडाउन में विस्तार के कारण मांग में बहुत तेज गिरावट आई है और श्रम लॉजिस्टिक संबंधी चुनौतियां बनी हुई हैं। विनिर्माण पीएमआई जून महीने में 47.2 पर रहा, जो मई में 30.8 था। इससे पता चलता है कि सुस्ती में थोड़ी कमी आई है।
समायोजित आईएसएस मार्किट कंपोजिट पीएमआई आउटलुक इंडेक्स, जिसमें विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के सूचकांकों, देश के सकल घरेलू उत्पाद को ध्यान में रखा जाता है, जून में बढ़कर 37.8 हो गया है, जो इसके पहले महीने में 14.8 था। यह अप्रैल में गिरकर रिकॉर्ड 7.2 पर पहुंच गया था। इससे निजी क्षेत्र के उत्पादन वृद्धि में गंभीर मंदी के संकेत मिलते हैं।
