केंद्र सरकार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-औद्योगिक श्रमिक (सीपीआई-आईडब्ल्यूू) के आधार वर्ष को बदलने जा रही है। इस तरह निजी क्षेत्र के कामगारों के न्यूनतम वेतन और सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में संभावित बढ़ोतरी की जमीन तैयार कर रही है। श्रम मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार नया सीपीआई-आईडब्ल्यू सूचकांक 21 अक्टूबर को जारी करेंगे, जिसका आधार वर्ष 2016 होगा। नया सूचकांक सितंबर 2020 के लिए जारी किया जाएगा। सीपीआई-आईडब्ल्यू को 2001 से नहीं बदला गया है, जबकि आम तौर पर यह काम हर पांच साल में होना चाहिए।
अधिकारी ने नाम प्रकाशित नहीं करने का आग्रह करते हुए कहा, ‘सरकार यह भी घोषणा करेगी कि वह सीपीआई-आईडब्ल्यू का आधार वर्ष 2021 में फिर बदलेगी और इस पर काम अगले साल शुरू होगा।’
सरकार के इस कदम से करीब तीन करोड़ औद्योगिक श्रमिकों और 48 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतनों में बढ़ोतरी हो सकती है। इसकी वजह यह है कि वेतन का एक घटक- महंगाई भत्ता अर्थव्यवस्था में महंगाई की दर के हिसाब से हर छह महीने में बदलता है और सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता इसी महंगाई सूचकांक से जुड़ा होता है। सातवें वेतन आयोग ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों के महंगाई समायोजन के सूचकांक के रूप में सीपीआई-आईडब्ल्यू को चुनने का फैसला किया था।
हालांकि सरकारी अधिकारियों का वेतन बढऩे में कुछ समय लग सकता है क्योंकि केंद्र सरकार ने इस साल के प्रारंभ में कोविड-19 महामारी के कारण अपने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता जुलाई, 2021 तक नहीं बढ़ाने का फैसला लिया था।
निजी क्षेत्र के कामगारों के लिए केंद्र सरकार और ज्यादातर राज्य सीपीआई-आईडब्ल्यू महंगाई के आंकड़ों के आधार पर हर साल दो बार न्यूनतम वेतनों का डीए बढ़ाते हैं। मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि सीपीआई-आईडब्ल्यू का पुराना आधार अप्रासंगिक हो चुका है क्योंकि परिवारों का उपभोग का तरीका पिछले दो दशकों में बहुत अधिक बदल गया है। महंगाई को मापने के लिए कुछ निश्चित वस्तुओं एवं सेवाओं के बास्केट की कीमतों में बदलाव को देखा जाता है। आधार वर्ष 2016 के नए सीपीआई-आईडब्ल्यू में गैर-खाद्य चीजों को अत्यधिक भारांश दिया जाएगा, जबकि 2001 आधार वर्ष वाले सूचकांक में खाद्य वस्तुओं का भारांश अधिक था। नए सूचकांक में खाद्य एवं पेय का भारांश 46 फीसदी से घटकर 39 फीसदी रह जाएगा। दूसरी तरफ गैर-खाद्य मदों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन, घरेलू वस्तुएं एवं सेवाएं, परिवहन और संचार का भारांश 23 फीसदी से बढ़कर 30 फीसदी होने का अनुमान है।
गैर-खाद्य वस्तुओं की कीमतें खाद्य वस्तुओं की तुलना में तेजी से बढ़ती हैं, इसलिए अगर मौजूदा की जगह नए सीपीआई-आईडब्ल्यू को इस्तेमाल किया गया तो कर्मचारियों के वेतन के डीए में ज्यादा बढ़ोतरी होगी। हालांकि विशेषज्ञों ने कहा कि इस कदम से निजी क्षेत्र के कामगारों के वेतन में अहम बढ़ोतरी नहीं होने के आसार हैं। केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘सीपीआई-आईडब्ल्यू सीपीआई से ऊंचा रहता है। जब बास्केट में खाद्य का हिस्सा कम होता है तो यह सीपीआई मुख्य सूचकांक के बराबर हो जाता है। मेरा मानना है कि निजी क्षेत्र के औद्योगिक कामगारों का डीए सीबीआई-आईडब्ल्यू से जुुड़ा होता है, इसलिए उन्हें सरकारी कर्मचारियों की तुलना में कम फायदा मिलेगा।’ नया सूचकांक विकसित करने के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने 48,000 से अधिक कामगारों के परिवारों का सर्वेक्षण किया और जनवरी से दिसंबर 2016 के दौरान उनके खर्च पैटर्न पर नजर रखी। नए सूचकांक 28 राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश शामिल होंगे, जो मौजूदा सूचकांक में 24 हैं।
