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Rupee fall: गिरते-गिरते 84.50 पर रुका रुपया

भूराजनीतिक तनाव और तेल की कीमतों में तेजी से रुपया गिरकर 84.50 प्रति डॉलर पर पहुंचा

Last Updated- November 21, 2024 | 10:03 PM IST
Reserve Bank of India's dollar sale helped the rupee recover from the new low of 84.76 रिजर्व बैंक के डॉलर बिक्री से रुपये में आया सुधार, 84.76 के नए निचले स्तर से उबरने में मिली मदद

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा देसी शेयरों की बिकवाली, भूराजनीतिक तनाव और कच्चे तेल की कीमत में तेजी के बीच रुपया गुरुवार को 84.50 प्रति डॉलर तक गिर गया। डीलरों ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की भविष्य की दरों को लेकर अनिश्चितता के कारण स्थानीय मुद्रा पर दबाव और बढ़ा है।

इसके पहले पिछले सप्ताह गुरुवार को रुपया 84.42 रुपये प्रति डॉलर के निचले स्तर पर पहुंचा था। नवंबर में डॉलर के मुकाबले रुपये में 0.5 प्रतिशत की गिरावट आई है, लेकिन इसका प्रदर्शन एशिया की अन्य मुद्राओं की तुलना में बेहतर है। बाजार से जुड़े हिस्सेदारों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने डॉलर की बिकवाली करके विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया, जिससे रुपये में होने वाली गिरावट थमी।

करूर वैश्य बैंक में ट्रेजरी के प्रमुख वीआरसी रेड्डी ने कहा, ‘रिजर्व बैंक 84.45 रुपये प्रति डॉलर और 84.46 रुपये प्रति डॉलर की दर पर बाजार में मौजूद था। उसके बाद रुपया अचानक 84.49 प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। मौजूदा वातावरण में रुपये में मजबूती आने की संभावना बहुत कम है। महीने के आखिर तक यह 84.60 से 84.65 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच सकता है।’उन्होंने कहा, ‘मार्च के अंत तक यह गिरकर 85 रुपये प्रति डॉलर के नीचे जा सकता है। बहरहाल रिजर्व बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि तेज गिरावट न होने पाए।’

बाजार के हिस्सेदारों ने कहा कि अगर रुपया गिरकर 84.50 प्रति डॉलर के नीचे चला जाता है तो अगला प्रतिरोध 85 रुपये प्रति डॉलर पर दिखेगा। आरबीएल बैंक के ट्रेजरी प्रमुख अंशुल चांडक ने कहा, ‘अगला उल्लेखनीय स्तर 85 प्रति डॉलर है। हमें इस पर ध्यान देने की जरूरत है कि विदेशी धन की निकासी जारी है और इसकी रुपये पर दबाव बढ़ाने में बहुत अधिक भूमिका है।’

उन्होंने कहा, ‘रिजर्व बैंक रुपये का बचाव कर रहा है, लेकिन बिकवाली बहुत तेज है। ऐसे में रिजर्व बैंक रुपये को धीरे धीरे गिरने देगा, जिससे बहुत तेज उतार-चढ़ाव को रोका जा सके।’ नवंबर में ज्यादातर कारोबारी सत्रों में रुपया नए निचले स्तर पर गया है।

पिछले तीन दिनों से मामूली गिरावट के बाद बुधवार को डॉलर सूचकांक 106.7 तक पहुंच गया। निवेशक, अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की प्रस्तावित नीतियों पर स्पष्टता चाहते हैं। वे फेडरल रिजर्व की बेंचमार्क ब्याज दरों के अनिश्चित परिदृश्य का आकलन कर रहे थे।

सीएमई फेडवाच टूल के मुताबिक 55 प्रतिशत निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि अमेरिका की दरें तय करने वाली समिति दिसंबर में दरों में कटौती करेगी। इस बीच ब्रेंट की कीमत बढ़कर 73.83 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। रूस-यूक्रेन संकट को लेकर उपजी चिंता के कारण कच्चा तेल महंगा हुआ है। हालांकि खासकर चीन में मांग कमजोर रहने के परिदृश्य के कारण कीमतों में आगे और मजबूती नहीं आई।

रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन द्वारा मंगलवार को अद्यतन परमाणु सिद्धांत को मंजूरी दिए जाने के बाद भूराजनीतिक तनाव बढ़ गया है। पुतिन ने कहा कि अगर किसी परमाणु शक्ति संपन्न देश के समर्थन से परंपरागत मिसाइल से हमला होता है तो रूस परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर विचार कर सकता है। चालू वित्त वर्ष में रुपया 1.29 प्रतिशत गिरा है, जबकि कैलेंडर वर्ष के दौरान रुपया 1.53 प्रतिशत गिरा है।

First Published - November 21, 2024 | 10:03 PM IST

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