facebookmetapixel
Tata Group में नई पीढ़ी की एंट्री! नोएल टाटा के बेटे नेविल टाटा बने ट्रस्टी, जानिए क्या है रतन टाटा से कनेक्शनभारत-भूटान ने किए 7 समझौते, 4000 करोड़ रुपये के ऊर्जा ऋण का ऐलान₹12 तक डिविडेंड पाने का आज आखिरी मौका! कल ये 6 कंपनियां करेंगी एक्स डेट पर ट्रेडलाल किले के पास विस्फोट की जांच अब NIA करेगी, पुलवामा से जुड़े मॉड्यूल पर सतर्कताअचल संपत्ति बेचना ‘सेवा’ नहीं, यह सर्विस टैक्स के दायरे से बाहर: सुप्रीम कोर्ट तेजी का मौका! एनालिस्ट ने बताए 3 स्टॉक्स जो पहुंच सकते हैं ₹2,980 तकग्रीन हाइड्रोजन लक्ष्य में बदलाव, 2030 तक 30 लाख टन उत्पादन का नया टारगेटStock Market Update: आईटी शेयरों में तेजी से बाजार में मजबूती, सेंसेक्स 300 से ज्यादा अंक चढ़ा; निफ्टी 25800 के पारक्विक कॉमर्स में मुनाफे की नई दौड़ शुरू! मोतीलाल ओसवाल ने Swiggy और Eternal पर जारी किए नए टारगेट्सIRDAI की नजर स्वास्थ्य बीमा के दावों पर, निपटान राशि में अंतर पर चिंता

नागरिकों के अनूठे पहचान के लिए 100 करोड रुपये का प्रस्ताव

Last Updated- December 10, 2022 | 1:12 AM IST

साल 2009-10 की वार्षिक योजना के तहत सरकार ने ‘भारत में रहने वाले नागरिकों के अनूठे पहचान की व्यापक प्रणाली’ विकसित करने हेतु 100 करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा है।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘इस व्यवस्था के लिए योजना आयोग के अंतर्गत यूनिक आईडेन्टिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया की स्थापना की जानी है। इसके लिए जनवरी 2009 में अधिसूचना जारी की जा चुकी है।’
भारत के नागरिकों की अनूठे पहचान अमेरिका के सोशल सिक्योरिटी नंबर जैसी होगी और इससे गरीबी रेखा से नीचे की जनता को पहचानने और उन्हें बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, इस पहचान से देश में अवैध अप्रवासन को रोका जा सकेगा जो देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।
अवैध अप्रवासन को ध्यान में रखते हुए इस योजना के तहत  देश के सीमावर्ती क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया है। अनूठे पहचान से किसी व्यक्ति और सेवा प्रदाता के बीच लेन देन आसान और प्रभावी तरीके से किया जा सकेगा।
अनूठे पहचान के लिए डेटाबेस बनाने की जरूरत होगी जिससे किसी व्यक्ति को अनूठे अभिज्ञापक (आईडेंटिफायर) से जोड़ा जाएगा। ऐसे अभिज्ञापक जैसे माता-पिता का नाम, जन्म तिथि और जन्म स्थान आदि व्यक्ति के पूरे जीवन काल में परिवर्तित नहीं होंगे। किसी व्यक्ति के 18 वर्ष के हो जाने पर यह कार्ड स्वत: ही मतदाता पहचान पत्र के रूप में काम करने लगेंगे।
वासत्व में, साल 2008 में सरकार ने ‘बहुद्देशीय राष्ट्रीय पहचान कार्ड (एमएनआईसी) ‘ के लिए 12 राज्यों के 13 जिलों और एक केंद्र शासित प्रदेश में पायलट परियोजना चलाई थी जिसके अंतर्गत 18 वर्ष से अधिक वय के 12 लाख से अधिक लोगों को कार्ड जारी किए गए। इसके साथ ही परियोजना को सफल बनाने के लिए नागरिकता अधिनियम 1955 में धारा 14ए को जोड़ा गया जिससे देश के प्रत्येक नागरिक को राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी की जा सके।
देश के प्रत्येक नागरिक के पहचान की विभिन्न प्रणालियों को समाप्त कर एक अनूठी पहचान संख्या जारी करना इस परियोजना का उद्देश्य है। इसके अतिरिक्त अनूठी पहचान परियोजना से नागरिक स्मार्ट कार्ड परियोजना को भी सहारा मिलेगा जिससे नागरिक खाद्य पदार्थों, ऊर्जा, शिक्षा इत्यादि पर पात्रता के अनुरूप छूट पा सकेंगे। इसके लिए सरकार ने पिछले साल यूनिक आईडेंटिटी अथॉरिटी के स्थापना की अनुमति दी थी।

First Published - February 16, 2009 | 4:32 PM IST

संबंधित पोस्ट