अर्थव्यवस्था

Retail Inflation: खुदरा मुद्रास्फीति 5 साल में सबसे कम, मगर नीतिगत दर में कटौती के आसार नहीं

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) की वृद्धि दर जून में घटकर तीन महीने के निचले स्तर 4.2 फीसदी पर रह गई। मई में आईआईपी में 6.2 फीसदी की तेजी आई थी।

Published by
शिवा राजौरा   
Last Updated- August 12, 2024 | 11:47 PM IST

खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी के कारण खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में घटकर अगस्त 2019 के बाद पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 4 फीसदी के मध्य अव​धि लक्ष्य से नीचे आई है। हालांकि एक वरिष्ठ सरकारी अ​धिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि केंद्रीय बैंक आंकड़ों को देखेगा मगर नीतिगत दर में कटौती की संभावना नहीं है।

दूसरी ओर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) की वृद्धि दर जून में घटकर तीन महीने के निचले स्तर 4.2 फीसदी पर रह गई। मई में आईआईपी में 6.2 फीसदी की तेजी आई थी।

राष्ट्रीय सां​ख्यिकी कार्यालय की ओर से आज जारी आंकड़ों के मुताबिक खुदरा मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जुलाई में 3.5 फीसदी रही जो जून में 5.08 फीसदी और पिछले साल जुलाई में 7.44 फीसदी थी।

जुलाई में खाद्य मुद्रास्फीति जून के 9.36 फीसदी से घटकर 5.42 फीसदी रहने से खुदरा मुद्रास्फीति में कमी आई है। मुख्य रूप से स​ब्जियों, अनाजों, फलों, दूध और चीन के दाम में कमी से खाद्य मुद्रास्फीति में नरमी आई है। हालांकि दालों की मुद्रास्फीति दर में दो अंक की वृद्धि देखी गई।

इक्रा रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि मुख्य रूप से स​ब्जियों के दाम घटने से खाद्य मुद्रास्फीति नीचे आई है। उन्होंने कहा, ‘जुलाई की शुरुआत में मॉनसून के जोर पकड़ने से खरीफ फसलों की कुल बोआई पिछले साल के स्तर को पार कर गई है। मौसम विभाग ने अगस्त-​सितंबर में मॉनूसन के सामान्य से अ​धिक रहने का अनुमान लगाया है और अगस्त के अंत में ला नीना की संभावना जताई है जो खरीफ के लिए अच्छे संकेत हैं।’

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति में मुख्य रूप से गिरावट कीमतों में नरमी से ज्यादा अनुकूल आधार प्रभाव के कारण आई है। जहां तक दर में कटौती की संभावना की बात है तो कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा कि आरबीआई अक्टूबर की नीति समीक्षा में दर यथावत रख सकता है।

औद्योगिक उत्पादन की बात करें तो इस साल मई में यह 6.2 फीसदी, अप्रैल में 5 फीसदी, मार्च में 5.5 फीसदी और फरवरी में 5.6 फीसदी बढ़ा था। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून अवधि में आईआईपी वृद्धि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 4.7 फीसदी के मुकाबले 5.2 फीसदी रही।

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने बयान में कहा कि खनन उत्पादन की वृद्धि जून में बढ़कर 10.3 फीसदी रही जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 7.6 फीसदी की वृद्धि हुई थी। मगर विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर जून में घटकर 2.6 फीसदी रह गई।

केयर रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा, ‘विनिर्माण और बिजली क्षेत्र के उत्पादन में नरमी आई और खनन क्षेत्र की वृद्धि उसकी भरपाई नहीं कर पाया, जिसका असर आईआईपी के आंकड़ों में दिखा। व्यापक आधार पर उपभोग और निजी निवेश में सुधार औद्योगिक गतिविधि के लिए महत्त्वपूर्ण बना हुआ है।’

First Published : August 12, 2024 | 10:03 PM IST