सब्जियों, फलों एवं दालों की कीमतों में नरमी आने से अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 3.16 फीसदी रह गई जो मार्च में 3.34 फीसदी थी। इससे भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के लिए 4 जून से शुरू होने वाली समीक्षा में रीपो दर में फिर कटौती की गुंजाइश बन गई है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से आज जारी आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति इससे पहले जुलाई, 2019 में 3.15 फीसदी दर्ज की गई थी। आंकड़ों से पता चलता है कि ग्रामीण भारत में खुदरा कीमतें 2.92 फीसदी बढ़ीं जबकि शहरी इलाकों में उसमें 3.36 फीसदी का इजाफा हुआ। मगर शहरों में खाद्य कीमतें 1.64 फीसदी पर लगभग स्थिर रहीं जबकि दूरदराज के इलाकों में यह आंकड़ा 1.85 फीसदी रहा।
अप्रैल में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 42 महीनों के निचले स्तर 1.78 फीसदी पर आ गई जो मार्च में 2.69 फीसदी रही थी। इसकी मुख्य वजह सब्जियों की कीमतों में एक साल पहले के मुकाबले 11 फीसदी और दाल की कीमतों में 5.23 फीसदी की गिरावट रही।
केयरएज रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा, ‘खाद्य तेल की कीमतें चिंताजनक हैं, विशेष रूप से तिलहन की बोआई में कमी, वैश्विक खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि और आयात पर निर्भरता के मद्देनजर।’