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खुदरा महंगाई 7 फीसदी के करीब आई

Last Updated- December 15, 2022 | 3:28 AM IST

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जुलाई में लगातार चौथे महीने मौद्रिक नीति समिति के 4 फीसदी (2 फीसदी कम-ज्यादा) लक्ष्य दायरे से ऊपर रही। गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति यानी खुदरा मुद्रास्फीति 6.93 फीसदी रही, जो जून में 6.23 फीसदी थी। खाद्य पदार्थों और पेट्रोलियम कीमतों में इजाफे के कारण महंगाई बढ़ी है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई जुलाई में 9.62 फीसदी रही जो जून में 8.72 फीसदी थी। ठीक एक हफ्ते पहले भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति बढऩे की आशंंका के बीच दरों में कटौती नहीं की थी। इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा, ‘खुदरा मुद्रास्फीति चार महीने से आरबीआई के लक्ष्य की ऊपरी सीमा (6 फीसदी) से अधिक रही है। कोविड के कारण मणिपुर, नगालैंड और पुुदुच्चेरी जैसे राज्यों से मुद्रास्फीति के आंकड़े उपलब्ध नहीं हो पाए। कीमतों का ब्योरा 70 फीसदी से कम बाजारों से जुटाया गया है।’
इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘स्थानीय लॉकडाउन और भारी बारिश के कारण सब्जियों के दाम बढ़े हैं। इससे जुलाई में खाद्य पदार्थों की महंगाई बढ़ी है लेकिन आने वाले महीनों में इसमें नरमी आ सकती है।’ जुलाई में मांस, मछली, फलों, दूध और अन्य खाद्य पदार्थों के दाम बढ़े हैं। हालांकि सबसे ज्यादा सब्जियों के सूचकांक में इजाफा हुआ है। केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने भी कहा कि सितंबर के बाद खरीफ फसल आने से खाद्य पदार्थों के दाम में नरमी आएगी। उन्होंने मौद्रिक नीति समिति द्वारा रीपो दर में कटौती नहीं करने के कदम को उपयुक्त करार दिया।

First Published - August 13, 2020 | 10:47 PM IST

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