वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद की 22 जून को प्रस्तावित बैठक में ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों पर पिछली तारीख से 28 फीसदी कर लगाए जाने पर जारी विवाद का समाधान हो सकता है।
घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि जीएसटी परिषद केंद्रीय जीएसटी (CGST) अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव पर भी विचार कर सकती है। इसमें केंद्र और राज्यों को कानून में अस्पष्टता और व्यवसायों द्वारा लगातार सामान्य कार्यप्रणाली के कारण भुगतान नहीं किए जा रहे जीएसटी को माफ करने का अधिकार मिलेगा।
मगर ऐसे व्यवसायों द्वारा अतीत में चुकाया गया कर वापस नहीं किया जाएगा। अगर प्रस्तावित संशोधन को लागू किया जाता है तो ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को बड़ी राहत मिल सकती है क्योंकि उन्हें 70 से ज्यादा नोटिस भेजकर 1.12 लाख करोड़ रुपये की कर मांग की गई है।
प्रस्तावित संशोधन को विधि समिति द्वारा परखा जा रहा है कि यह केंद्रीय उत्पाद शुल्क व्यवस्था में अपनाई जाने वाली कार्यप्रणालियों के अनुरूप है और सीमा शुल्क अधिनियम में भी इसका पालन किया जा रहा है।
संशोधन लागू होने से ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को 1 अक्टूबर, 2023 से पहले के सकल गेमिंग राजस्व पर लगाए गए कर से छूट मिल सकती है। लेकिन अगर किसी कंपनी ने जीएसटी का भुगतान किया है तो उसे रिफंड नहीं किया जाएगा।
वर्तमान में जीएसटी कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसके तहत केंद्र/राज्य सरकारें कानून में अस्पष्टता या सामान्य कार्यप्रणाली के कारण जीएसटी भुगतान से छूट दे सकें। नया प्रावधान जोड़ने के लिए विधि समिति ने सीजीएसटी कानून में धारा 11ए शामिल करने की सिफारिश की है जिससे केंद्र/राज्यों को जीएसटी कानून के तहत इस तरह का अधिकार मिलेगा।
यह मामला उस समय सामने आया जब पिछले साल अगस्त में जीएसटी परिषद ने कानून में संशोधन कर ऑनलाइन खेलों में सट्टे या लगाई गई पूरी राशि पर 28 फीसदी की दर से कर लगाने का प्रावधान किया था। यह नियम अक्टूबर 2023 से प्रभावी हो गया था। 6 माह बाद इसकी समीक्षा करने का भी प्रावधान किया गया था, और उसकी समयसीमा 30 मार्च को खत्म हो गई है।
गेमिंग कंपनियों का तर्क है कि 28 फीसदी कर 1 अक्टूबर से लगाया जाना चाहिए मगर सरकार का कहना था कि संशोधन को कानून में स्पष्ट किया
गया है और कर देनदारी की मांग पिछली तिथि से नहीं की गई है। ऑनलाइन गेमिंग फर्में सर्वोच्च अदालत पहुंच गईं।