भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के आंतरिक सदस्यों ने महंगाई दर घटा कर 4 प्रतिशत तक लाने की अपनी प्रतिबद्धता जताई है। दूसरी तरफ समिति के बाहरी सदस्यों ने ऊंची रीपो दर को लेकर अपनी चिंता जताई है। जून में हुई एमपीसी की बैठक के दौरान इन बातों पर चर्चा हुई थी।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2022-23 की 6.7 प्रतिशत की तुलना में 2023-24 में महंगाई दर 5.1 प्रतिशत के स्तर पर रहने का अनुमान है। मगर तब भी यह लक्ष्य से अधिक रहेगी। महंगाई दर कम होकर 4 प्रतिशत तक आने में थोड़ा समय लगेगा।’
दास ने कहा कि महंगाई को लेकर अनिश्चितता अप्रैल की मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद से कम नहीं हुई हैं। पूर्व में दरों में हुई बढ़ोतरी पर दास ने कहा कि इनका असर दिखना शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि महंगाई दर 2 से 6 प्रतिशत के दायरे में लाने के साथ आरबीआई का काम अभी आधा ही पूरा हुआ है। दास ने कहा, ‘महंगाई के खिलाफ हमारी मुहिम अभी खत्म नहीं हुई है। हमें महंगाई-आर्थिक वृद्धि के बदलते परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए दूरगामी रणनीति के साथ आगे बढ़ना होगा और जरूरत पड़ने पर कदम उठाने के लिए तैयार रहना होगा।
इसके अलावा अनिश्चितता को देखते हुए मौद्रिक सख्ती के मामले में हमारी भविष्य की कार्रवाई को लेकर आगे के लिए कोई निश्चित दिशानिर्देश देना कठिन है।’जून की पॉलिसी में एमपीसी ने रीपो दर में लगातार दूसरी बैठक में कोई बदलाव न करते हुए इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा था। एमपीसी के सभी 6 सदस्यों ने यथास्थिति बनाए रखने के पक्ष में मत दिया था।
डिप्टी गवर्नर एमडी पात्र ने कहा कि इस विराम को इस रूप में नहीं देखा जाना चाहिए कि ब्याज दरों का चक्र शीर्ष पर पहुंच गया है और अगर जरूरत पड़ती है तो दर में बढ़ोतरी की जा सकती है। पात्र ने कहा, ‘नीतिगत दर यथावत रखने के मेरे मत को बाउंसर पिच के लिए तैयार मिडिल स्टंप गार्ड के रूप में देखा जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि दर यथावत रखने को इस रूप में नहीं देखा जाना चाहिए कि दर का चक्र शीर्ष पर है, बल्कि इसे सावधानीपूर्वक किए गए मूल्यांकन के बाद के फैसले के रूप में देखने की जरूरत है और अगर जरूरत पड़ती है तो नीतिगत सख्ती की जा सकती है।
वहीं दूसरी ओर बाहरी सदस्य जयनाथ वर्मा ने कहा कि रीपो रेट का मौजूदा स्तर टिकाऊ स्तर पर महंगाई को ऊपरी सीमा के भीतर रखने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि महंगाई और वृद्धि दोनों मामले में पर्याप्त जोखिम है और महंगाई को नियंत्रण में लाने पर चल रहा काम अभी प्रगति पर है। उन्होंने कहा कि यह घोषित करना जल्दबाजी होगी कि महंगाई पर काबू पा लिया गया है।
वर्मा ने कहा, ‘इस मामले में मैं मौद्रिक नीति समिति के नीति वक्तव्य में खुद को बधाई देने वाले लहजे से बिल्कुल सहमत नहीं हूं कि एमपीसी ने मार्च अप्रैल में खुदरा महंगाई दर को तय सीमा में आने को संज्ञान में लिया है, जो अनुमानों के मुताबिक है और यह मौद्रिक सख्ती और आपूर्ति बढ़ाने के संयुक्त उपायों को दिखाता है।’
वर्मा ने कहा कि 2023-24 में महंगाई दर 5.1 प्रतिशत रहने के अनुमान के आधार पर रियल रीपो रेट अब करीब डेढ़ प्रतिशत अंक है। उन्होंने कहा, ‘दूसरे शब्दों में, मौद्रिक नीति अब अब खतरनाक रूप से उस स्तर पर है, जहां यह अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकती है।’
एक अन्य बाहरी सदस्य आशिमा गोयल ने भी वास्तविक ब्याज दर के मसले का विशेष उल्लेख किया। गोयल ने कहा, ‘जैसी कि उम्मीद थी, महंगाई दर घटी है। हालांकि यह अहम है कि रियल रीपो रेट बहुत ज्यादा नहीं बढ़ना चाहिए।’
शोध का हवाला देते हुए गोयल ने कहा कि महंगाई को लक्ष्य बनाने के दौर में महंगाई दर घटने को लेकर उम्मीद बढ़ाई है। उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रतिबद्धता के दौर में नॉमिनल रीपो रेट को संभावित महंगाई के मुताबिक किया जाता है।