भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार (फोरेक्स) के हिस्से के तौर पर अपनी स्वर्ण खरीद को बढ़ा दिया है। कैलेंडर वर्ष 2021 की पहली छमाही में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी में वृद्घि अब तक छमाही अवधि में सर्वाधिक रही। इस अवधि में विदेश मुद्रा भंडार में 29 टन सोना जोड़ा गया।
अब विदेशी मुद्रा भंडार के हिस्से के तौर पर रिजर्व बैंक के पास सोने की मात्रा पहली बार 700 टन के पार जा चुकी है। 30 जून को केंद्रीय बैंक का स्वर्ण भंडार 705.6 टन पहुंच गया। 2018 के आरंभ में स्वर्ण भंडार 558.1 टन रहा था।
रिजर्व बैंक के विदेशी मुद्रा भंडार में स्वर्ण की हिस्सेदारी मार्च 2021 तिमाही की समाप्ति पर 7 फीसदी थी हालांकि जून तिमाही में यह घटकर 6.5 फीसदी रह गई थी। विश्व स्वर्ण परिषद के पास उपलब्ध ताजा आंकड़ों के मुताबिक जून 2021 में वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने 32 टन सोने की खरीद की थी जिसमें भारत ने ही 30 फीसदी या 9.4 टन सोने की खरीद की थी।
मार्च 2018 में रिजर्व बैंक ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में 2.2 टन सोना जोड़ा था जो नवंबर 2009 के बाद से उसकी पहली खरीद थी। नवंबर 2009 में केंद्रीय बैंक ने अपने भंडार में शामिल करने के लिए अंतरराष्टï्रीय मुद्रा कोष से 200 टन सोने की खरीद की थी।
एक वरिष्ठ बैंकिंग अर्थशास्त्री ने कहा, ‘करीब एक दशक के बाद विगत कुछ वर्षों से रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार के लिए सोने की खरीद शुरू की है जो पोर्टफोलियो में मामूली विविधता लाने के लिए है। रिजर्व बैंक का यह कदम अन्य केंद्रीय बैंकों के अनुरूप है। भारत के विदेश मुद्रा भंडार में अब भी सबसे बड़ी हिस्सेदारी अमेरिकी डॉलर की है जबकि स्वर्ण की हिस्सेदारी विगत दो वर्षों में 5 फीसदी से थोड़ा बढ़कर 6.5 फीसदी हो गई है।’
मार्च 2018 से करीब 26.5 फीसदी या 147 टन सोना देश के विदेशी मुद्रा भंडार में जोड़ा गया है। कैलेंडर वर्ष 2021 की पहली छमाही में करीब 29 टन सोना जोड़ा गया जबकि पिछले तीन कैलेंडर वर्षों में वार्षिक स्वर्ण खरीद का औसत 39.5 टन है। यह रिजर्व बैंक की ओर से छमाही अवधि में की गई सर्वाधिक खरीद है।
पोर्टफोलियो में विविधिता लाने के अलावा सोना विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा होने से सॉवरेन क्रेडिट की योग्यता को सुरक्षित रखने में भी सहायक होता है। आईआईएम अहमदाबाद स्थित इंडिया गोल्ड पॉलिसी सेंटर ने यह जांचने के लिए एक शोध किया कि क्या केंद्रीय बैंक का स्वर्ण भंडार संकट के समय पर सॉवरेन ऋण चूक स्वैप (सीडीएस) के विस्तार में कमी लाता है।
बुधवार को जारी इस रिपोर्ट में कहा गया, ‘विशेष तौर पर हमने उच्च वैश्विक उतार चढ़ावों की परिस्थितियों के दौरान के साथ साथ देश के विशिष्टï ऋण संकटों, मुद्रास्फीति संकटों और मुद्रा संकटों की परिस्थितियों में किसी देश के जोखिम पर केंद्रीय बैंक के भंडारों के प्रभाव का आकलन किया।
सॉवरेन सीडीएस क्वांटो स्प्रेड्ïस किसी देश की संभावित चूक और उससे संबंधित मुद्रा अवमूल्यन के संबंध पर वित्तीय बाजारों के विचार को इंगित करता है। हमने देखा कि केंद्रीय बैंक के पास स्वर्ण भंडार बढऩे से न केवल सामान्य दिनों में देश के ऋण जोखिम को कम करने में मदद मिलती है बल्कि यह सॉवरेन साख पर वैश्विक और घरेलू संकट के प्रभाव को भी समाप्त करती है।’
अपने विदेशी मुद्रा भंडार के हिस्से के तौर पर स्वर्ण भंडार रखने वाले केंद्रीय बैंकों की सूची में 705 टन के साथ भारत का दसवां स्थान है।