अर्थव्यवस्था

RBI का रिकॉर्ड ₹2.69 लाख करोड़ डिविडेंड: GDP के 4.2% तक घटेगा फिस्कल डेफिसिट, ₹70,000 करोड़ तक बढ़ेगा खर्च, ऐसी दिखेगी RBI की बैलेंस शीट: SBI Ecowrap

SBI रिसर्च का मानना है कि इस ट्रांसफर से बनी मजबूत लिक्विडिटी बफर सरकार को FY26 में अपने वित्तीय और आर्थिक लक्ष्यों को संभालने के लिए जरूरी लचीलापन प्रदान करेगी।

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अंशु   
Last Updated- May 24, 2025 | 2:59 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र सरकार को ₹2.69 लाख करोड़ का रिकॉर्ड डिविडेंड ट्रांसफर करने की घोषणा की है। यह पिछले साल के ₹2.11 लाख करोड़ के मुकाबले 27.4% ज्यादा है। यह जानकारी एसबीआई की ताजा इकोरैप (SBI Ecowrap) रिपोर्ट में दी गई है। यह बड़ा सरप्लस मजबूत विदेशी मुद्रा बिक्री, हाई फॉरेक्स गेन और ब्याज आय में वृद्धि के चलते आया है जिससे भारत का राजकोषीय घाटा (fiscal deficit) घटने और सरकारी खर्च (government spending) को सहारा मिलने की उम्मीद है। यह ट्रांसफर ऐसे समय में हुआ है जब RBI ने संशोधित इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क के तहत 15 मई 2025 को अपनी आकास्मिक जोखिम बफर (CRB) को FY24 के 6.5% से बढ़ाकर 7.5% कर दिया है।

फिस्कल डेफिसिट घटकर GDP के 4.2% तक की उम्मीद

यूनियन बजट में RBI और सार्वजनिक क्षेत्र की वित्तीय संस्थाओं से कुल ₹2.56 लाख करोड़ का डिविडेंड प्राप्त होने का अनुमान लगाया गया था। लेकिन RBI के इस बढ़े हुए ट्रांसफर के साथ, वास्तविक प्राप्ति इस अनुमान से काफी ज्यादा होगी। SBI में समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा, “हम अनुमान लगाते हैं कि इससे या तो राजकोषीय घाटा बजट अनुमान से 20 से 30 बेसिस पॉइंट घटकर GDP के 4.2% तक आ सकता है। या फिर सरकार को लगभग ₹70,000 करोड़ अतिरिक्त खर्च करने की गुंजाइश मिल सकती है।”

Source: RBI, SBI Research

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डॉलर बिक्री और बढ़ी आय से सरप्लस में जबरदस्त उछाल

RBI की आक्रामक फॉरेक्स बिक्री—जो FY25 में 371.6 अरब डॉलर रही, जबकि FY24 में यह 153 अरब डॉलर थी—के साथ-साथ मार्क-टू-मार्केट गेन और घरेलू ब्याज आय में वृद्धि ने सरप्लस बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। सितंबर 2024 में विदेशी मुद्रा भंडार 704 अरब डॉलर के शिखर पर पहुंच गया था, और जनवरी 2025 में RBI ने एशियाई केंद्रीय बैंकों में सबसे ज्यादा डॉलर बिक्री की, ताकि रुपये को स्थिर किया जा सके।

RBI की बैलेंस शीट पर क्या होगा प्रभाव?

रिपोर्ट में बताया गया है कि जून से दिसंबर 2024 तक RBI अपनी लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (LAF) के जरिए एब्जॉर्प्शन मोड में था। इसके बाद मार्च 2025 तक सिस्टम लिक्विडिटी इंजेक्शन मोड में चली गई। इस अवधि के दौरान औसत लिक्विडिटी डेफिसिट ₹1.7 लाख करोड़ रहा।

मई 2025 के अंत तक कोर लिक्विडिटी ₹4.95 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है, जिसे करेंसी विदड्रॉल, ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO) और बड़े डिविडेंड ट्रांसफर से सहारा मिलेगा। FY26 के दौरान टिकाऊ लिक्विडिटी के सरप्सल में बने रहने की संभावना है, जिसे 25–30 अरब डॉलर के भुगतान संतुलन (BoP) सरप्लस जैसे अन्य कारक भी सहयोग देंगे।

RBI का रिकॉर्ड डिविडेंड केंद्र सरकार की वित्तीय स्थिति (fiscal position) को मजबूती देने के साथ-साथ वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच बॉन्ड यील्ड को संतुलित कर बाजार में स्थिरता भी ला सकता है। SBI रिसर्च का मानना है कि इस ट्रांसफर से बनी मजबूत लिक्विडिटी बफर सरकार को FY26 में अपने वित्तीय और आर्थिक लक्ष्यों को संभालने के लिए जरूरी लचीलापन प्रदान करेगी।

First Published : May 24, 2025 | 2:57 PM IST