भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी और 2024-25 के लिए बेहतर GDP ग्रोथ अनुमान की वजह से RBI महंगाई दर को काबू करने पर अपना ध्यान फोकस कर रही है। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस महीने की शुरुआत में ब्याज दर को बरकरार रखने के पक्ष में जोर दिया और कहा कि आर्थिक मजबूती की वजह से RBI ब्याज दरों में बदलाव न कर महंगाई की ओर अपना ध्यान केंद्रित कर सकी है।
केंद्रीय बैंक ने आज मौद्रिक नीति समिति (MPC) बैठक का विवरण जारी करते हुए बताया कि महंगाई दर (inflation) को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच RBI ने रीपो रेट (Repo Rate) को फरवरी 2023 से लगातार 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा है।
RBI की तरफ से जारी किए गए विवरण में बताया गया है कि MPC ने ग्राहकों का भरोसा (consumer confidence), परिवारों की महंगाई को लेकर उम्मीदों (households’ inflation expectations), कॉरपोरेट सेक्टर की परफॉर्मेंस, कर्ज की स्थिति के साथ-साथ इंडस्ट्रियल, सर्विसेज और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के ऑउटलुक को मापने के लिए RBI द्वारा किए गए सर्वेक्षणों की समीक्षा की। इन सभी पॉइंट्स को ध्यान में रखते हुए और मौद्रिक नीति के रुख पर लंबी चर्चा के बाद, MPC ने नीतिगत दरों को बरकरार रखा।
दास ने कहा, ‘मुद्रास्फीति को कम करने के लिए पिछले दो वर्षों में जो लाभ हुआ है, उसे बरकरार रखना होगा। टिकाऊ आधार पर सकल मुद्रास्फीति (headline inflation) को 4 फीसदी के लक्ष्य तक लाने के लिए काम करना होगा।’
MPC के छह सदस्यों में पांच ने नीतिगत दर को बरकरार रखने के पक्ष में वोट किया। MPC मेंबर जयंत आर वर्मा ने हालांकि रेपो दर में 0.25 फीसदी की कटौती की सिफारिश की थी। उनका कहना था कि ज्यादा ब्याज दर से आर्थिक वृद्धि प्रभावित होती है।
MPC के छह सदस्यों में पांच ने नीतिगत दर को बरकरार रखने के पक्ष में वोट किया। MPC मेंबर जयंत आर वर्मा ने हालांकि रेपो दर में 0.25 फीसदी की कटौती की सिफारिश की थी। उनका कहना था कि ज्यादा ब्याज दर से आर्थिक वृद्धि प्रभावित होती है।
MPC में गवर्नर शक्तिकांत दास के अलावा जयंत आर वर्मा, डॉ. शक्तिकांत भिड़े, डॉ. आशिमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन और माइकल देबब्रत पात्रा शामिल रहे।
MPC Minutes में कहा गया कि आने वाले समय में अपेक्षित सामान्य दक्षिण-पश्चिम मानसून से कृषि गतिविधियों को मजबूती मिलनी चाहिए। लगातार मुनाफा बने रहने के कारण मैन्युफैक्चरिंग की ग्रोथ भी बरकरार रहने की उम्मीद है। सर्विस एक्टिविटीज के महामारी-पूर्व के स्तर से ऊपर बढ़ने की संभावना है। ग्रामीण गतिविधियों में और तेजी और स्थिर शहरी मांग के साथ निजी खपत को गति मिलनी चाहिए।
रिजर्व बैंक के उपभोक्ता सर्वेक्षण (consumer survey) के अनुसार, शहरी परिवारों द्वारा अपेक्षित गैर जरूरी खर्च में वृद्धि और आय के स्तर में सुधार निजी उपभोग की मजबूती के लिए अच्छा संकेत है।
व्यावसायिक आशावाद (business optimism), बेहतर कॉरपोरेट और बैंक बैलेंस शीट, मजबूत सरकारी पूंजीगत खर्च (government capital expenditure ) और निजी पूंजीगत खर्च साइकल में तेजी के संकेतों के साथ निश्चित निवेश की संभावनाएं बेहतर बनी हुई हैं। हालांकि, भू-राजनीतिक तनाव, अंतरराष्ट्रीय फाइनैंशियल मार्केट में अस्थिरता, लाल सागर में बिगड़ती स्थिति और ज्यादा गर्म मौसम की घटनाओं से प्रतिकूल परिस्थितियां केंद्रीय बैंक के इस ऑउटलुक के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं। इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए, 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि (real GDP growth ) 7.0 फीसदी और पहली तिमाही (Q1) में 7.1 फीसदी रहने का अनुमान है। Q2 में 6.9 फीसदी पर; Q3 में 7.0 फीसदी पर और Q4 में 7.0 फीसदी पर वास्तविक जीडीपी वृद्धि रहने का अनुमान है।