अर्थव्यवस्था

सितंबर से महंगाई कम होने की आस: RBI गवर्नर शक्तिकांत दास

दास की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब जुलाई में प्रमुख खुदरा महंगाई दर रिजर्व बैंक द्वारा तय 6 प्रतिशत की ऊपरी सीमा को पार करके 7.4 प्रतिशत पर पहुंच गई

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शिवा राजौरा   
Last Updated- September 05, 2023 | 9:54 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंगलवार को दिल्ली स्कूल आफ इकनॉमिक्स में आयोजित एक व्याख्यान में हाल में खाद्य वस्तुओं के दाम में गिरावट का हवाला देते हुए कहा कि सितंबर से महंगाई में गिरावट शुरू होने की उम्मीद है।

दास की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब जुलाई में प्रमुख खुदरा महंगाई दर रिजर्व बैंक द्वारा तय 6 प्रतिशत की ऊपरी सीमा को पार करके 7.4 प्रतिशत पर पहुंच गई और यह 15 माह के उच्च स्तर पर है।

आने वाले महीनों में महंगाई दर की संभावनाओं पर पूछे गए एक सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए गवर्नर ने कहा कि ‘मौसमी खाद्य महंगाई एक वजह होती है और इस साल यह टमाटर ने किया। सब्जियों की कीमत लंबे समय तक उच्च स्तर पर रहेंगी, इसकी उम्मीद नहीं है। हम उम्मीद करते हैं कि इस माह से महंगाई दर घटनी शुरू हो जाएगी।’

मौद्रिक नीति बनाने की कलाः भारत के संदर्भ में’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में गवर्नर ने यह भी कहा कि सब्जियों की कीमत से लगने वाला झटका कम अवधि की होने की संभावना है, ऐसे में मौद्रिक नीति बनाने में ऐसे झटकों के पहले दौर के असर का इंतजार किया जा सकता है। यह प्रमुख महंगाई दर में कम अवधि की तेजी होती है और हम इसके दूसरे स्तर पर असर की रक्षा सुनिश्चित करते हैं, जिससे कि यह बरकरार न रह सके।

उन्होंने कहा, ‘खाद्य कीमतों के बार बार लगने वाले झटकों से महंगाई स्थिर रखने की उम्मीदों को जोखिम पैदा होता है। यह सितंबर 2022 से ही चल रहा है। हम इस पर भी नजर रखेंगे।’ गवर्नर ने लगातार और समय से आपू्र्ति संबंधी हस्तक्षेप की भूमिका पर भी जोर दिया उन्होंने कहा कि सरकार का हस्तक्षेप महंगाई की गंभीरता और खाद्य महंगाई के झटके की अवधि कम करने में अहम भूमिका निभाती है।

व्याख्यान के दौरान गवर्नर ने यह भी कहा कि भारत में मौद्रिक नीति के ढांचे का सिद्धांत और देश की प्रथाओं का विकास अर्थव्यवस्था की बदलती प्रकृति और वित्तीय बाजारों में विकास के अनुरूप हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘महंगाई को लक्षित करने के दौरान हमारे अनुभव ने मौद्रिक नीति बनाने के मामले में कुछ जरूरी पाठ पढ़ाए हैं। पहला- किसी संकट के दौरान अति सक्रिय और फुर्तीले रहने की जरूरत होती है, जिससे त्वरित प्रतिक्रिया देने की क्षमता रहती है। दूसरे- किसी हठधर्मिता या रूढ़िवाद से दूर रहते हुए जरूरत के मुताबिक और बगैर समय गंवाए विवेकपूर्ण व लक्षित और जरूरत के मुताबिक नीतिगत उपाय करने होते हैं। तीसरा- जरूरत पड़ने पर मौद्रिक नीति कार्रवाई को उचित नियामकीय और पर्यवेक्षकीय समर्थन मिलना चाहिए, जिसमें नीति को लागू करने असर और इसकी विश्वसनीयता को लेकर व्यापक विवेकपूर्ण तरीके शामिल हैं।’

First Published : September 5, 2023 | 9:54 PM IST