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रेलवे, डाक का नहीं होगा निजीकरण

Last Updated- December 12, 2022 | 8:41 AM IST

रेलवे, डाक, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई), प्रमुख बंदरगाह ट्रस्ट और विकास के उद्देश्य से वाणिज्यिक गतिविधियों में लगी इकाइयों को केंद्रीय बजट 2021-22 में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के निजीकरण के लिए घोषित नई नीति के दायरे में नहीं लाया जाएगा। पीएसयू निजीकरण नीति के बारे में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक नियामकीय प्राधिकरणों, स्वायत्त संगठनों, ट्रस्ट और विकास वित्त संस्थानों को भी निजीकरण की इस प्रक्रिया से बाहर रखा जाएगा।
दरअसल इस नीति में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को रणनीतिक एवं गैर-रणनीतिक में विभाजित किया गया है। रणनीतिक पीएसयू में नाभिकीय ऊर्जा, रक्षा एवं अंतरिक्ष, परिवहन एवं दूरसंचार, ऊर्जा, पेट्रोलियम, कोयला एवं अन्य खनिज, बैंकिंग, बीमा एवं वित्तीय सेवा से जुड़े उपक्रम शामिल हैं।
रणनीतिक क्षेत्रों में मौजूदा सार्वजनिक वाणिज्यिक इकाइयों का होल्डिंग कंपनी के स्तर पर यथासंभव न्यूनतम मौजूदगी सरकारी नियंत्रण के तहत बनाई रखी जाएगी। बाकी हिस्सेदारी का निजीकरण करने या दूसरे सरकारी उपक्रमों के साथ विलय या अनुषंगी बनाने या फिर उन्हें बंद करने के बारे में गौर किया जाएगा। वहीं गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में सक्रिय पीएसयू के निजीकरण के बारे में व्यवहार्य होने पर ही सोचा जाएगा, अन्यथा उन्हें बंद करने के बारे में सोचा जाएगा।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) जैसे पीएसयू संसद द्वारा पारित अधिनियमों के जरिये बनाए गए हैं जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित उपक्रम सिक्योरिटी प्रिंटिंग ऐंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और तमाम प्रोत्साहन कार्यों के लिए गठित नॉट फॉर प्रॉफिट कंपनियों के भी निजीकरण को अपवाद के तौर पर ही देखा जाएगा। किसानों को बीज एवं अन्य तरह की मदद मुहैया कराने वाले सार्वजनिक उपक्रमों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अल्पसंख्यकों और अन्य पिछड़ा वर्गों को वित्तीय समर्थन देने में जुटी इकाइयों को भी पीएसयू निजीकरण के दायरे से बाहर ही रखने का फैसला किया गया है।
यथासंभव न्यूनतम मौजूदगी
रणनीतिक क्षेत्रों में सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों की यथासंभव न्यूनतम मौजूदगी होल्डिंग कंपनी के स्तर पर ही गिनी जाएगी, उनकी अनुषंगी इकाइयों एवं साझा उपक्रमों को इसका हिस्सा नहीं बनाया जाएगा।
अगर एक रणनीतिक क्षेत्र में पीएसयू की संख्या एक तक ही सीमित करने का फैसला किया जाता है तो फिर उस एक कंपनी की मौजूदा अनुषंगी इकाइयों या साझा उद्यमों को अलग इकाइयों के रूप में नहीं गिना जाएगा। एक सरकारी अधिकारी ने साफ किया कि उस खास क्षेत्र में सक्रिय बाकी सभी सरकारी कंपनियों का या तो निजीकरण कर दिया जाएगा, या फिर उस इकलौती कंपनी में उनका विलय कर दिया जाएगा या फिर उन्हें बंद किया जा सकता है।
सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज घोषित करते समय पहले तय किया था कि रणनीतिक क्षेत्रों में पीएसयू की संख्या चार तक सीमित रखी जाएगी। लेकिन अब उस सीमा को हटा दिया गया है और हरेक रणनीतिक क्षेत्र में कार्यरत पीएसयू की संख्या मामला-दर-मामला तय की जाएगी।

First Published - February 5, 2021 | 11:41 PM IST

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