राज्य सभा में प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020 के पारित होने से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) बंदरगाहों के लिए निजी प्रतिस्पर्धियों से मुकाबला करने का रास्ता तैयार हुआ है। मुख्य तौर पर अब ये शुल्क के मोर्चे पर प्रतिस्पर्धा कर पाएंगे। बृहद बंदरगाहों के लिए शुल्क प्राधिकरण (टीएएमपी) द्वारा बनाए गए नियमों के कारण प्रमुख पीएसयू बंदरगाह लाचार हो गए थे क्योंकि ये नियम निजी बंदरगाहों पर लागू नहीं थे।
इक्रा में कॉर्पोरेट रेटिंग्स के उपाध्यक्ष और सह-प्रमुख अंकित पटेल ने कहा, ‘सरकार ने यह स्पष्ट किया कि टेएएमपी की भूमिका को काफी कम कर दिया गया है। पीपीपी (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) बोली के लिए संदर्भ शुल्क का निर्धारण नए बोर्ड द्वारा किया जाएगा। एक बार परिचालन निजी हाथ में आ जाने के बाद इसके पास बाजार की परिस्थितियों के आधार पर शुल्क निर्धारित करने की पूरी शक्ति होगी। इस प्रकार, समय से इस तंत्र के परिचालित होने से टीएएमपी का भविष्य अनिश्चित हो जाएगा।’
टीएएमपी बहु-सदस्यीय संवैधानिक निकाय रहा है जिसके पास केंद्र और निजी टर्मिनलों के नियंत्रण के अंतर्गत वृहत बंदरगाह ट्रस्टों की ओर से वसूले जाने वाले शुल्क के निर्धारण की शक्ति है।
यह निकाय दरों को निर्धारित करने के साथ साथ दरों को लागू करने की शर्तों का भी निर्धारण करता है। इंडियन पोट्र्स एसोसिएशन के प्रबंध निदेशक (एमडी) ए. जनार्दन राव ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘यह विधेयक न केवल वृहद बंदरगाहों और निजी बंदरगाहों बल्कि वृहद बंदरगाह टर्मिनलों और पीपीपी टर्मिनलों के बीच समान अवसर पैदा करेगा। इससे एक मजबूत मूल्य खोज की शुरुआत होगी।’
प्रमुख (पीएसयू) बंदरगहों के भीतर पीपीपी टर्मिनल कंपनियों को भी टीएएमपी से शुल्क की मंजूरी लेनी होती है। बहरहाल, इस विधेयक के लागू होने पर इस संगठन से मंजूरी लेने का झंझट समाप्त हो जाएगा।
राव ने कहा, ‘इसके कारण हम आगमाी वर्षों में प्रमुख बंदरगाहों पर पीपीपी में भी निवेश की उम्मीद कर रहे हैं। टीएएमपी के समाप्त होना कमाई और निवेश दोनों लिहाज से पीएसयू बंदरगाहों के लिए शुभ साबित होगा।’
डीपी वल्र्ड, सिंगापुर की पीएसए इंटरनैशनल पीटीई और एस्सार पोट्र्स आदि कुछ पीपीपी कंपनियां हैं जिनका जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह (जेएनपीपी) और पारादीप जैसे बड़े बंदरगाहों पर टर्मिनल है।
एस्सार पोट्र्स के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक राजीव अग्रवाल ने कहा, ‘टीएएमपी की भूमिका में कटौती करने से पीपीपी खंड में निवेश के वातावरण को काफी मजबूती मिलेगी। कंपनियों के लिए यह बड़ा अवरोधक रहा है। अब नए लाइसेंसों के लिए नए सिरे से जोश नजर आएगा।’
इसी बीच, विश्लेषकों को कहना है कि विधेयक आगे चलकर कुछ प्रमुख बंदरगाहों को लाभकारी स्थिति में पहुंचाएगा।
पटेल ने कहा, ‘उच्च आर्थिक पैमाने वाले बड़े बंदरगाहों- जेएनपीपी, कांडला, विजाग और पारादीप को इससे लाभ होगा क्योंकि वहां बड़ी मात्रा में कारोबार होता है। उन्हें और अधिक माल और निवेश मिलने की संभावना है।’