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कैबिनेट सचिवालय ने मंत्रालयों संग बुलाई बैठक, GST परिषद के फैसलों पर 22 सितंबर से पहले अमल सुनिश्चित करने की तैयारी

PMO ने वित्त मंत्रालय और अन्य मंत्रालयों संग बैठक बुलाकर 22 सितंबर से पहले नई जीएसटी दरों के अधिसूचन और उद्योग से जुड़ी चुनौतियों के समाधान की समीक्षा करने की तैयारी की

Last Updated- September 07, 2025 | 11:04 PM IST
GST
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अधीन काम करने वाले कैबिनेट सचिवालय ने वित्त मंत्रालय और अन्य संबंधित मंत्रालयों के साथ सोमवार को एक बैठक बुलाई है। इस बैठक का मकसद जीएसटी परिषद के हालिया निर्णयों के कार्यान्वयन की समीक्षा और नई दरों को 22 सितंबर की समय सीमा से पहले अधिसूचित किया जाना सुनिश्चित करना है।  

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि सरकार संशोधित दरों को 22 सितंबर की समय सीमा से पहले अधिसूचित करने और कर में कमी का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने को इच्छुक है। उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था लागू करने में अगर किसी क्षेत्र से जुड़ा कोई व्यवधान आता है तो सरकार जल्द से जल्द उसकी पहचान करना चाहती है।

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री कार्यालय कुछ क्षेत्रीय मसलों का उल्लेख करता है तो वित्त मंत्रालय उनकी फिर से जांच करने के लिए उत्सुक है। अधिकारी ने कहा, ‘अगर हमें उद्योग निकायों द्वारा उठाए गए कुछ क्षेत्रीय मुद्दों की फिर से जांच करने के लिए उच्च अधिकारियों से निर्देश मिलता है, तो हम ऐसा करेंगे।’

बहरहाल उन्होंने साफ किया कि किसी भी राहत के लिए जीएसटी परिषद के एक नए फैसले की आवश्यकता होगी, जिसके बाद संसद में विधायी परिवर्तन किए जाएंगे।

सूत्रों ने कहा कि संचित मुआवजा उपकर को लेकर व्यवस्था बनाने पर चर्चा के लिए जीएसटी परिषद की एक और बैठक बुलाई जा सकती है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। मौजूदा कानून के तहत उपकर समाप्त होने के बाद उपकर क्रेडिट को समायोजित या वापस नहीं किया जा सकता है, जिससे ऐसे स्टॉक रखने वाले डीलरों और वितरकों के लिए चिंता बढ़ रही है।

वित्त मंत्रालय को भेजे गए एक ईमेल का जवाब खबर प्रेस में जाने तक नहीं मिल सका।  

अधिकारी ने कहा, ‘उद्योग निकायों ने चेतावनी दी है कि 22 सितंबर से ऑटोमोबाइल पर मुआवजा उपकर की समाप्ति से उन डीलरों के लिए कार्यशील पूंजी अटक सकती है, जिनके पास ऐसी कारें हैं जिन पर पहले ही उपकर का भुगतान किया जा चुका है।’ रोजमर्रा इस्तेमाल किए जाने वाले सामान (एफएमसीजी), वाहन और फार्मा व्यवसाय भी वितरकों और डीलरों के पास इन्वेंट्री से होने वाले संभावित नुकसान और कार्यशील पूंजी के दबाव को लेकर चिंतित हैं। इस तरह के भंडारण पर खरीद के समय उच्च दर पर जीएसटी का भुगतान किया गया है, लेकिन 22 सितंबर से यह सामान कम दरों पर बेचना होगा। उद्योग को डर है कि अगर इस मसले का समाधान नहीं किया गया तो मुनाफा कम हो सकता है।  

उन्होंने आगे कहा, ‘दवा कंपनियों ने इस बदलाव के कारण कार्यशील पूंजी पर दबाव का उल्लेख किया है,  जहां दवाओं के निर्माण के लिए उपयोग किए जाने वाले सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है, जबकि तैयार फॉर्मूलेशन पर शून्य या 5 प्रतिशत कर लगता है। उर्वरक कंपनियों ने भी क्षेत्र विशेष के हिसाब से जीएसटी अनुपालन और कार्यान्वयन संबंधी चुनौतियों का मसला उठाया है।’

इसी तरह कपड़ा उद्योग के प्रतिनिधियों ने अलग-अलग जीएसटी दरों से उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर प्रकाश डाला है। उन्होंने कहा कि 2,500 रुपये से कम कीमत वाले कपड़ों पर 5 प्रतिशत कर और उससे अधिक कीमत वाले कपड़ों पर 18 प्रतिशत कर का प्रावधान है, इससे इनकी कीमत तय करने व अनुपालन की प्रक्रिया जटिल होगी।

पिछले हफ्ते हुई जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत के दो कर ढांचे को मंजूरी दी गई है। वहीं लग्जरी और नुकसानदायक वस्तुओं पर 40 प्रतिशत कर का प्रावधान किया गया है।

First Published - September 7, 2025 | 10:06 PM IST

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