केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मौजूदा नहरों या निर्दिष्ट क्लस्टर में अन्य स्रोतों से सिंचाई जल आपूर्ति के नेटवर्क का आधुनिकीकरण करने के लिए बुधवार को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) की उप-योजना को मंजूरी दे दी। इसमें प्रायोगिक परियोजना के रूप में वर्ष 2025-26 की अवधि के लिए पहले 1,600 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।
शुरुआत में यह उप-योजना लगभग 80,000 किसानों को कवर करते हुए 78 जगहों पर चलाई जाएगी। इसका उद्देश्य मौजूदा स्थापित स्रोत से लेकर 1 हेक्टेयर तक के खेतों तक सिंचाई का पानी पहुंचाने के लिए मजबूत बुनियादी ढांचा तैयार करना है। ये पाइप नहरों आदि सिंचाई स्रोतों से खेतों तक पानी ले जाएंगे। इस प्रकार जल स्रोतों से दूरदराज के खेतों तक पानी पहुंचाने की बहुप्रतीक्षित योजना अमल में आएगी। इस योजना का उद्देश्य सिंचाई जल-आपूर्ति नेटवर्क का आधुनिकीकरण कर मौजूदा नहरों या अन्य स्रोतों से सिंचाई जल की आपूर्ति करना भी है।
बयान में कहा गया है कि सिंचाई संपत्तियों के प्रबंधन के लिए जल उपयोगकर्ता सोसायटी को सिंचाई प्रबंधन हस्तांतरण द्वारा इस परियोजना को टिकाऊ बनाया जाएगा। जल-उपयोगकर्ता सोसाइटियों को पांच वर्षों के लिए एफपीओ या पीएसीएस जैसी मौजूदा आर्थिक संस्थाओं के साथ जोड़ने के लिए शुरुआती मदद दी जाएगी। युवाओं को भी खेती की ओर आकर्षित करने की कोशिश की जाएगी, ताकि वे सिंचाई के आधुनिक तरीकों को अपना सकें।
राज्यों को चुनौती कोष देकर देश के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में पायलट परियोजनाओं को शुरू करने के लिए प्रारंभिक मंजूरी दी गई है। इन परियोजनाओं के डिजाइन और संरचना में सीख के आधार पर 16वें वित्त आयोग की अवधि के लिए अप्रैल 2026 से कमांड क्षेत्र विकास और जल प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय योजना शुरू की जाएगी।