फरवरी महीने में जनवरी की तुलना में विनिर्माण गतिविधियों में वृद्धि सुस्त हुई है। हालांकि आईएचएस पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स पीएमआई के व्यापक सर्वे के मुताबिक वृद्धि बढ़े हुए स्तर पर बनी हुई है।
फरवरी में पीएमआई 57.5 अंक पर आ गया, जो जनवरी में 57.7 पर था। पीएमआई में 50 से ऊपर वृद्धि और इससे नीचे के अंक संकुचन का संकेत देते हैं।
आंकड़े जारी समय दी गई प्रतिक्रिया में कहा गया है कि भले ही जनवरी की तुलना में सुस्ती है, लेकिन पिछले आंकड़ों से तुलना करें तो वृद्धि की रफ्तार तेज बनी हुई है। फरवरी में प्रमुख आंकड़े दीर्घावधि औसत 53.6 से ऊपर बने रहे।
वृद्धि कमोवेश उच्च स्तर पर बनी हुई है, लेकिन इसके बावजूद शिफ्ट में काम करने को लेकर कोविड-19 के प्रतिबंधों के कारण रोजगार घटा है।
वहीं दूसरी तरफ कच्चे माल की मांग मजबूत हो रही है और और इनपुट लागत बढऩे के कारण कम तैयार माल पर इसका असर पड़ा है, जो 32 महीने के उच्च स्तर पर है। फैक्टरी गेट चार्ज भी बढ़े हैं, हालांकि इसकी रफ्तार सुस्त है। इनपुट की तेज मांग के कारण आपूर्तिकर्ताओं ने अपना शुल्क बढ़ा दिया है। सर्वे में पाया गया कि केमिकल, धातुओं, प्लास्टिक और टेक्सटाइल्स जैसे कुछ सामानों के दाम बहुत तेज बढ़े हैं।
मांग बेहतर रहने और सफल मार्केटिंग अभियान के कारण फवरी में नए ऑर्डर और बढऩे की सूचना है। आंकड़ों से पता चलता है कि फरवरी में उत्पादन के पूर्व वाला भंडारण बढ़ा है, जो सर्वे के इतिहास में सबसे तेज मासिक बढ़ोतरी है।
आईएचएस मार्किट में एसोसिएट डायरेक्टर पॉलियाना डी लीमा ने कहा, ‘अभी भी आंकड़े संकेत दे रहे हैं कि उत्पादन में वृद्धि मजबूत हो सकती है, क्योंकि फर्मों के पास काम के बोझ से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं। कारोबार में तेज बढ़ोतरी से लेकर तैयार माल की इन्वेंट्री में गिरावट के माध्यम से ऐसे संकेत मिलते हैं। ‘
