तीन कृषि कानूनों को रद्द किए जाने के बाद चूंकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने की चर्चा जोर पकड़ रही है, ऐसे में प्रदर्शनकारी किसानों की मांग को पूरा करने के लिए कई प्रकार के विकल्प सुझाए जा रहे हैं।
विभिन्न वक्तव्यों और विचारों में इनमें से जिस एक योजना की बार बार चर्चा की जा रही है वह है कीमत न्यूनता का भुगतना। यह योजना मध्य प्रदेश सरकार की ओर से शुरू की गई भावांतर भुगतान योजना से मिलती जुलती है। कुछ वर्ष पूर्व राज्य सरकार यह योजना किसानों से भौतिक रूप से उनकी फसल खरीदे बगैर एमएसपी से कम कीमत पर फसल बेचने की सूरत में होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए लाई थी।
कीमत में न्यूनता का भुगतान (पीडीपी) सितंबर 2018 में शुरू की गई पीएम-आशा या प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान का हिस्सा है।
इस अभियान के तीन घटक हैं- कीमत समर्थन योजना (पीएसएस), कीमत न्यूनता भुगतान योजना (पीडीपीएस) और निजी खरीद और स्टॉकिस्ट योजना का पायलट (पीपीपीएसएस)। यह अभियान तिलहन, दलहन और मोटे अनाजों पर केंद्रित है।
पीएम-आशा
पीएम-आशा के तहत खरीद राज्य सरकार के अनुरोध पर की जाती है और कुल खरीद की सीमा संबंधित फसल के कुल उत्पादन का 25 फीसदी होती है जिसे 40 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है बशर्ते कि उसका उपयोग पीडीएस या राज्य सरकार की अन्य कल्याण योजना के लिए हो।
इसमें यह भी कहा गया है कि राज्य सरकार ऐसी खरीद पर मंडी कर आदि वसूल सकती है। पीएम-आशा के तीनों घटकों पर केंद्र का खर्च राज्य के कुल तिलहन और दलहन उत्पादन के 25 फीसदी की खरीद तक सीमित है और राज्य सरकार यदि इस सीमा से अधिक खरीद करना चाहती है या किसानों को मूल्य में समर्थन देना चाहती है तो उसे अपने स्तर से धन का प्रबंध करना होगा।
भावांतर के मामलों में भी जहां किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य और पूर्व नियत तय दर के बीच के अंतर का भुगतान किया जाता है, के लिए दिशानिर्देश है कि किसानों को यह भुगतान संबंधित फसल के लिए निर्धारित एमएसपी के 25 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए।
पीएम-आशा की एक और महत्त्वपूर्ण दिशानिर्देश यह है कि किसानों को कीमत न्यूनता भुगतान योजना या कीमत समर्थन योजना या फिर निजी क्षेत्र की प्रायोगिक योजना के तहत मुआवजा का भुगतान एक निश्चित समयावधि में की जानी चाहिए।
उदाहरण के लिए कीमत न्यूनता भुगतान योजना के मामले में किसानों को हर हाल में अधिसूचित मंडियों में अपने उत्पाद की बिक्री के बाद एक महीने के भीतर उनके संबंधित खातों में रकम का भुगतान कर दिया जाना चाहिए। वहीं, कीमत समर्थन योजना (पीएसएस) के मामले में खरीद की कीमत किसानों से उनका उत्पाद मिलने के तीन दिन के भीतर किसानों तक पहुंच जाना चाहिए।
पीएम आशा की प्रगति
केंद्र सरकार ने संसद के पिछले सत्र में दिए गए एक जवाब में कहा कि अगस्त 2021 तक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मिले प्रस्तावों के आधार पर करीब 92 लाख टन दलहन, तिलहन और गरी की खरीद कीमत समर्थन योजना के तहत की गई है और 17 लाख टन तिलहन को पीडीपीएस की कीमत न्यूनता भुगतान योजना के तहत कवर किया गया है।
हालांकि, तीनों घटकों में से केवल एक कीमत समर्थन योजना ही परवान चढ़ सकी है।
कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में संकेत किया कि पीएम-आशा को लागू करने के बाद से नेफेड द्वारा दलहन और तिलहन की खरीद के मामले में पीएसएस ने उल्लेखनीय प्रगति की है लेकिन पीडीपीएस और पीपीएसएस ने कोई ज्यादा प्रगति नहीं की है।
