रेटिंग एजेंसी मूडीज ने आज कहा कि भारत के दूसरे दौर के प्रोत्साहन पैकेज से वृद्घि पर सीमित असर पड़ेगा और बहुत तीव्र संकुचन के दौरान अर्थव्यवस्था को सहारा देने में बजट की तंगी का पता चलता है।
12 अक्टूबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 46,700 करोड़ रुपये के दूसरे चरण के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी। यह रकम मार्च 2021 में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 0.2 फीसदी है। नए प्रोत्साहन में सरकारी कर्मचारियों को नकद भुगतान और राज्यों को ब्याज मुक्त ऋण शामिल है। सरकार ने यह कदम भारत के त्योहारी सीजन में उपभोक्ता खर्च को बढ़ाने और पूंजीगत व्यय में इजाफा करने के लिए उठाया है।
मूडीज ने कहा कि इस कदम से प्रत्यक्ष तौर पर आधिकारिक रूप से अतिरिक्त 41,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे लेकिन इसके लिए नई फंडिंग की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि सरकार ने कोरोनावायरस संबंधी खर्च के लिए 2020 के आरंभ में अपनी उधारी सीमा को बढ़ा दिया था।
सरकार की ओर से इससे पहले दिए गए प्रोत्साहन पैकेज को भी इसमें जोड़ दें तब भी राहत उपाय का आकार साधारण ही है। सरकार की ओर से दो चरणों में दिए गए प्रोत्साहन को मिलाकर देखें तो कोरोनावायरस संबंधी वित्तीय समर्थन में सरकार का प्रत्यक्ष खर्च जीडीपी का करीब 1.2 फीसदी बैठता है।
एजेंसी ने कहा कि ताजे प्रोत्साहन पैकेज से निकट अवधि में उपभोक्ता खर्च में तेजी आएगी क्योंकि कोविड संबंधी प्रतिबंधों में लगातार ढील दी जा रही है और भारत का त्योहारी सीजन आरंभ होने जा रहा है। लेकिन इससे आर्थिक वृद्घि को मिलने वाला सहयोग मामूली रहेगा।
सरकार को उम्मीद है कि नए प्रोत्साहन से जीडीपी को 0.5 फीसदी का सहारा मिलेगा जो कि मार्च 2021 में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष की वास्तविक जीडीपी में आने जा रही 11.5 फीसदी के मुकाबले बहुत कम है।