कंसल्टेंसी फर्म मॉ फोई ने कहा है कि भारत के संगठित क्षेत्र के कपड़ा एवं वस्त्र उद्योग में 2008 में सिर्फ 17,000 नये रोजगार के सृजन की संभावना है। भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ ने यहां तक संभावना जताई है कि रुपये की मजबूती से भारत में पांच लाख से अधिक नौकरियों का नुकसान हो सकता है।
भारत में 15 लाख रोजगार देने वाले इस उद्योग को निर्यात में कमी से भारी क्षति पहुंच सकती है। पिछले साल संगठित वस्त्र एवं कपड़ा उद्योग ने 1 करोड़ 54 लाख लोगों को रोजगार दिया था। जबकि इस साल सिर्फ 17,621 रोजगारों मे वृध्दि के साथ यह आंकड़ा 1 करोड़ 56 लाख पहुंचने की आशा है।
मॉ फोई प्रबंधन कंसल्टेंसी के प्रबंध निदेशक के पांडिया राजन का कहना है कि कपड़ा उद्योग एवं सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र दो ऐसे प्रमुख क्षेत्र है जिनको रुपये की मजबूती के कारण सर्वाधिक नुकसान हुआ है। कपड़ा एवं वस्त्र उद्योग मे कम अवसरों और स्वचालन के कारण इस उद्योग की रोजगार वृध्दि दर का सकल घरेलू उत्पाद में वृध्दि दर से कोई सीधा संबंध नही है।
मॉ फोई ने संगठित क्षेत्र कपड़ा एवं वस्त्र उद्योग की 150 कंपनियों का अध्ययन किया था जिनका मूलत: वस्त्रों के निर्यात से संबंधित कारोबार है। अध्ययन से यह बात भी पता चली कि इस क्षेत्र में नये युवकों की अपेक्षा अनुभवी को अधिक प्राथमिकता दी गयी। कुल सृजित रोजगार में से 74.3 फीसदी अनुभवियों के हिस्से गया और सिर्फ 25.7 फीसदी हिस्सा नये लोगों को मिला। इस उद्योग से जुड़े सूत्रों के अनुसार परिदृश्य यह दिखाता है कि कर्मचारी अपनी नौकरियां छोड़ रहे है और कंपनियों का फीका प्रदर्शन उन्हें कुछ ही नये लोगों को लेने के लिये बाध्य कर रहा है।
भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ ( सिटी) के पत्र वस्त्र निर्यात घोषणा का रोजगार पर प्रभाव में भी रेखांकित किया गया है कि लगभग 2.72 लाख प्रत्यक्ष रोजगार का नुकसान होगा जबकि इसे जुड़े क्षेत्रों को मिलाने के बाद यह आंकड़ा और भी अधिक हो सकता है। सिटी के महासचिव डी के नायर का कहा कि उद्योग में रोजगार की संभावनाएं न के बराबर हैं। विशेषकर स्पिनिंग इकाइयों में ।
सामान्यत: एक करोड़ के निर्यात पर 35 रोजगारों का सृजन होता है और निर्यात में 15,000 करोड़ रुपये की कमी के आसार है।
वस्त्र उद्योग की कंपनियों का मानना है कि मुद्रा की मजबूती, उच्च ब्याज दर और प्रसार के लिये धन की कमी के कारण रोजगार के अवसरों के बढ़ने की कम संभावना है।
नायर ने कहा कि वस्त्र उद्योग कोटा को समाप्त कर देने के बाद अपनी वृध्दि दर को बचा सकता है। यह कुशल रोजगार के सृजन से अपने लाभ को भी बचा सकता है।
राजन का कहना है कि इस कोटा प्रक्रिया को हटा लेने के बाद विश्व व्यापार संगठन का सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव है।
अचानक कोटा में छूट उद्योगों को नुकसान पहुंचा सकती है जिसका 98 फीसदी घरेलू बाजार से जुड़ा हुआ है। बढते स्वचालन में कमी आयी है क्योंकि कंपनियां पहले से कम नये लोगों को ले रही है। सर्वेक्षण के अनुसार लोगो की उत्पादों में बढ़ती रुचि रोजगार की संभावनाओं को बढ़ा सकती है क्योंकि इसके लिये कंपनियां अपना वितरण क्षेत्र बढ़ाएंगी।