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पुरानी योजनाएं होंगी चाक चौबंद

Last Updated- December 05, 2022 | 5:11 PM IST

वाणिज्य मंत्रालय वर्तमान निर्यात संवर्धन योजनाओं पर ही ध्यान केंद्रित कर रहा है।


7 अप्रैल को घोषित की जाने वाली सालाना विदेश व्यापार नीति में नई योजनाएं लाने के बजाय पुरानी योजनाओं को दुरुस्त करना प्रमुख लक्ष्य होगा। वाणिज्य मंत्रालय इस पर भी विचार कर रहा है कि टर्मिनल एक्साइज डयूटी (टीईडी) और केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) जैसे करों की वापसी पर देरी होने की दशा में उस पर ब्याज का भुगतान किया जाए।


एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि नवंबर 2007 में वित्त मंत्री पी चिदंबरम की निर्यातकों को राहत देने की घोषणा के तहत विदेश व्यापार नीति में नए प्रावधानों की घोषणा हो सकती है।


वर्तमान में वापसी में 30 दिन से अधिक विलंब होने पर 6 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान किया जाता है। देर से की गई वापसी पर ब्याज के भुगतान का नियम 1 अप्रैल 2007 से लागू है। चिदंबरम ने टीईडी और सीएसटी पर की वापसी के लिए धनराशि को 300 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये कर दिया है। अधिकारी ने कहा कि इससे यह सुनिश्चित होता है कि निर्यातकों का पैसा मारा नहीं जाएगा।


व्यापार से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक इस समय मौजूदा नीतियों पर गहन विचार किया जाना जरूरी है। इससे भारतीय निर्यातकों की प्रतियोगिता की क्षमता बढ़ेगी, जिसकी धार रुपये की मजबूती की मार से कुंद पड़ गई है।इस तरह से फोकस मार्केट, फोकस प्रोडक्ट्स, विशेष कृषि और ग्राम उद्योग योजना, मार्केटिंग डेवलपमेंट असिस्टेंस जैसी निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं के लिए आगामी विदेश व्यापार नीति में और अधिक आवंटन और उत्पादों की संख्या बढ़ाए जाने की जरूरत है।


केंद्रित बाजार योजना के तहत इस समय अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और सीआईएस देशों में एफओबी वैल्यू के मुताबिक मालभाड़े में 2.5 प्रतिशत डयूटी क्रेडिट स्क्रिप का प्रावधान है। केंद्रित उत्पाद योजना के तहत कुछ उत्पादों पर एफओबी वैल्यू का 1.25 प्रतिशत डयूटी फ्री स्क्रिप का प्रावधान है। यह छूट उन उत्पादों पर है, जहां अधिक लोगों को रोजगार मिलता है।


इन दोनों योजनाओं में 2007-08 में 1000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। वाणिज्य मंत्रालय चाहता है कि इसमें बढ़ोतरी की जाए। विशेष कृषि और ग्राम उद्योग योजना के तहत फार्म उत्पादों पर एफओबी वैल्यू का 5 प्रतिशत डयूटी स्क्रिप रखा गया है। यह प्रावधान ग्राम उद्योगों पर भी लागू होता है। वर्तमान में इस योजना के लिए 600 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।


मंत्रालय से जुड़े अधिकारी ने कहा कि यह वर्तमान विदेश व्यापार नीति का आखिरी साल है। हम चाहते हैं कि वर्तमान प्रावधानों को जारी रखते हुए इसमें कुछ अन्य क्षेत्रों और निर्यातकों को शामिल किया जाए। वाणिज्य मंत्रालय भारतीय निर्यातकों के डयूटी ड्राबैक रेट को भी बढ़ाने पर विचार कर रहा है। यह योजना 31 मार्च 2008 को समाप्त हो रही है। इसे भी एक साल के लिए बढ़ाए जाने की संभावना है।

First Published - March 27, 2008 | 10:49 PM IST

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