विशेषज्ञों को वित्त वर्ष 2024 में भारत में तेल की मांग तेज बने रहने की उम्मीद है। हालांकि चीन में औद्योगिक उत्पादन कम होने के कारण उससे जुड़ी अर्थव्यवस्था के सुस्त होने की चिंताएं हैं और वैश्विक स्तर पर तेल का उत्पादन गिरने की आशंका है।
लिहाजा इन चिंताओं के कारण कुछ महीने पहले से तेल के वैश्विक उत्पादन में गिरावट आई है। हालांकि कई ज्यादातर विशेषज्ञ घरेलू मांग और बढ़ने के कारण आर्थिक गतिविधियां बढ़ने की ओर इशारा कर रहे हैं। तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) की दिसंबर की मासिक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2024 के दौरान तेल की मांग 4.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 55.9 लाख बैरल प्रति दिन होने की उम्मीद है।
हालांकि वर्ष 2023 में 53.7 लाख बैरल प्रतिदिन बैरल प्रतिदिन की मांग थी। देशों के वैश्विक कार्टेल ने 2022 में भारत की मांग 51.4 लाख बैरल प्रतिदिन आंकी है। दूसरी तरफ चीन की मांग में 3.6 प्रतिशत होने का अनुमान है।
अमेरिका के ऊर्जा सूचना प्रशासन (ईआईए) ने हालिया रिपोर्ट में बताया कि भारत में तरलीकृत ईंधन के 2024 में औसतन 3 लाख बैरल प्रतिदिन औसतन बढ़ने का अनुमान है। भारत के तरलीकृत ईंधन की खपत में कच्चा तेल और तेल शोधन संयंत्र के परिष्कृत उत्पाद हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘हमारा अनुमान है कि भारत की मांग 2024 में बढ़कर 33,10,000 लाख बैरल प्रतिदिन होगी जबकि यह 2023 में 26,80,000 लाख बैरल प्रतिदिन थी। सकल घरेलू उत्पाद में मामूली गिरावट (2023 के 6.1 प्रतिशत से गिरकर 2024 में 6.0 प्रतिशत) और अनुकूल आधार प्रभाव के कारण भारत में तेल की मांग बढ़ेगी।’
बीते सप्ताह जारी इस रिपोर्ट के अनुसार भारत ने वर्ष 2022 में तेल उत्पादों व तरल की 49 लाख बैरल प्रतिदिन खपत की थी। एसएंडपी की रिपोर्ट के मुताबिक 2023 की 52 लाख बैरल प्रतिदिन की मांग 2024 में बढ़कर 53 लाख बैरल प्रतिदिन होने की उम्मीद है।