facebookmetapixel
जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने सरकार से पूरे 6G स्पेक्ट्रम की नीलामी की मांग कीतेजी से बढ़ रहा दुर्लभ खनिज का उत्पादन, भारत ने पिछले साल करीब 40 टन नियोडिमियम का उत्पादन कियाअमेरिकी बाजार के मुकाबले भारतीय शेयर बाजार का प्रीमियम लगभग खत्म, FPI बिकवाली और AI बूम बने कारणशीतकालीन सत्र छोटा होने पर विपक्ष हमलावर, कांग्रेस ने कहा: सरकार के पास कोई ठोस एजेंडा नहीं बचाBihar Assembly Elections 2025: आपराधिक मामलों में चुनावी तस्वीर पिछली बार जैसीरीडेवलपमेंट से मुंबई की भीड़ समेटने की कोशिश, अगले 5 साल में बनेंगे 44,000 नए मकान, ₹1.3 लाख करोड़ का होगा बाजारRSS को व्यक्तियों के निकाय के रूप में मिली मान्यता, पंजीकरण पर कांग्रेस के सवाल बेबुनियाद: भागवतधर्मांतरण और यूसीसी पर उत्तराखंड ने दिखाई राह, अन्य राज्यों को भी अपनाना चाहिए यह मॉडल: PM मोदीधार्मिक नगरी में ‘डेस्टिनेशन वेडिंग’, सहालग बुकिंग जोरों पर; इवेंट मैनेजमेंट और कैटरर्स की चांदीउत्तराखंड आर्थिक मोर्चे पर तो अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन पारिस्थितिक चिंताएं अभी भी मौजूद

G20 देशों में भारतीय कामकाजी महिलाओं की संख्या सबसे कम

कैबिनेट ने सोमवार को राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के मकसद से महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी

Last Updated- September 19, 2023 | 11:00 PM IST
Women

महिलाओं का राजनीतिक प्रतिनिधित्व बढ़ाने की पहल ऐसे वक्त में की जा रही है जब अर्थव्यवस्था में उनकी भागीदारी घट रही है। इसका अंदाजा महिलाओं की कम होती श्रम दर भागीदारी से लगता है जिसमें कुछ साल पहले की तुलना में कमी आ रही है।

इसके अलावा पुरुषों के मुकाबले संपत्ति पर उनका मालिकाना हक भी कम होता जा रहा है। कैबिनेट ने सोमवार को राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के मकसद से संसद में महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी और मंगलवार को उसे संसद में पेश भी कर दिया गया।

G20 देशों के समूह में कामकाजी भारतीय महिलाओं की हिस्सेदारी सबसे कम है। महिला श्रम बल की भागीदारी दर 24 प्रतिशत है जो सऊदी अरब के 27.8 प्रतिशत की तुलना में भी कम है।

कामकाजी महिलाओं की ज्यादा भागीदारी के संदर्भ में शीर्ष पायदान पर ऑस्ट्रेलिया (62.1 प्रतिशत) का स्थान है और इसके बाद चीन (61.1 प्रतिशत) और कनाडा (60.9 प्रतिशत) का स्थान है। अन्य ब्रिक्स सहयोगी देशों ब्राजील, अफ्रीका और रूस में महिला श्रम बल भागीदारी दर 50 प्रतिशत से अधिक है।

महिला श्रम भागीदारी दर 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र की उन महिलाओं की आबादी का अनुपात है जो कामकाजी हैं या काम की तलाश कर रहे हैं। पिछले सात वर्षों में कामकाजी महिलाओं की संख्या में तकरीबन एक-तिहाई की कमी आई है।

वित्त वर्ष 2016-17 में रोजगार पा चुके या काम चाहने वाले श्रमिकों की संख्या करीब 44.6 करोड़ थी जिनमें महिलाओं की संख्या 6.8 करोड़ थी जो कुल कार्यबल का महज 15 प्रतिशत थी।

वित्त वर्ष 2023 में, कुल 43.9 करोड़ श्रम बल में से, महिलाओं की हिस्सेदारी 4.5 करोड़ है जो श्रम पूल का महज 10 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 2017 में शहरी भारत में लगभग 2.27 करोड़ महिला श्रमिक थीं जो वित्त वर्ष 2023 में घटकर 1.2 करोड़ हो गईं। इसी अवधि के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में महिला श्रम बल की भागीदारी 4.5 करोड़ से कम होकर 3.3 करोड़ हो गई है।

वित्त वर्ष 2017 में देश के शहरी और ग्रामीण इलाके में महिलाओं की श्रम भागीदारी लगभग 15 प्रतिशत थी और वित्त वर्ष 2023 तक कुल कार्यबल में महिलाओं का अनुपात शहरी क्षेत्रों में घटकर 7 प्रतिशत हो गया और 2022 में ग्रामीण क्षेत्रों में यह अनुपात कम होकर 9.7 प्रतिशत हो गया।

महिलाओं के पास घर या जमीन जैसी संपत्ति का मालिकाना हक पाने की संभावना भी कम होती है। इसका अंदाजा हमें सरकार के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) से मिलता है जिसके मुताबिक महिलाओं के हिस्से में जमीन का मालिकाना हक पाने की दर वर्ष 2015-16 के 37 प्रतिशत से जरूर बढ़ी है लेकिन यह अब भी वर्ष 2019-21 में केवल 42 प्रतिशत तक है।

जिन महिलाओं के हिस्से में घर हैं उनकी संख्या भी 28 प्रतिशत से बढ़कर महज 32 प्रतिशत हुई है। वहीं पुरुषों में जमीन के मालिकाना हक की दर 42 प्रतिशत है जबकि लगभग 60 प्रतिशत पुरुषों के पास अपने घर हैं।

First Published - September 19, 2023 | 11:00 PM IST

संबंधित पोस्ट