कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहे छोटे उद्यमों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से खराब कर्ज के वर्गीकरण के मानकों की समीक्षा करने और लोहा एवं स्टील जैसे प्रमुख कच्चे माल पर आयात शुल्क को तार्किक बनाने की अपील की है।
वित्त मंत्रालय को भेजे सुझाव में फेडरेशन आफ इंडियन माइक्रो, स्माल ऐंड मीडियम इंटरप्राइजेज (फिस्मे) ने कहा, ‘अतिरिक्त धन की जरूरतों से ज्यादा जरूरी यह है कि गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) के निर्धारण में लचीला रुख अपनाया जाए।’
उद्योग संगठन ने कहा है कि विशेष उल्लेख खाता (एसएमए) ढांचे के तहत खातों के वर्गीकरण का खाका सामान्य दिनों के लिए तैयार किया गया है और महामारी से प्रभावित वर्षों में इसमें बदलाव किया जाना चाहिए। अगर मूलधन और ब्याज का बकाया 1 से 30 दिन हो तो एसएमए-0, अगर 31 से 60 दिन बकाया हो तो एसएमए-1 और 61 से 90 दिन के बकाये पर खाते को एसएमए-2 के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
उद्योग संगठन ने कहा है कि इसमें अब बदलाव की जरूरत है क्योंकि स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन के कारण बाजार में व्यवधान हुआ है और इससे भुगतान चक्र बिगड़ा है।
सीतारमण को लिखे पत्र में फिस्मे ने कहा है, ‘बैंकिंग सिर्फ एक्सेल शीट पर आधारित नहीं होना चाहिए। व्यवस्था में पर्याप्त लचीलापन होना चाहिए जिससे बैंकर तथ्यों को ध्यान में रखकर फैसला कर सकें।’ छोटे कारोबारियों ने एक ऐसा कानून बनाए जाने की मांग की है, जिससे महामारी के दौरान अनुपालन न होने की स्थिति में 31 मार्च, 2022 तक कानूनी संरक्षण मिल सके।
इसमें कहा गया है, ‘सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अनुपालन से जुड़ी दृढ़ता की वजह से किसी एमएसएमई को बंद न करना पड़े।’
छोटे उद्यमों के उद्योग संगठन ने यह भी सुझाव दिया है कि लोहा, स्टील, तांबा, एल्युमीनियम और पॉलिमर जैसे कच्च्चे माल पर आयात शुल्क को तार्किक बनाया जाना चाहिए क्योंकि घरेलू उत्पादों के दाम पिछले 6 महीने से बढ़ रहे हैं। संगठन ने कहा है कि प्रमुख आर्थिक मंत्रालयों के सचिवों को प्रमुख 10 कच्चे माल की कीमतों की नजदीक से निगरानी की जरूरत है।
वित्त मंत्री सीतारमण पिछले एक सप्ताह से विभिन्न उद्योग संगठनों के साथ बैठक कर रही हैं और महामारी की दूसरी लहर के कारण हुए व्यवधानों के बारे में उनसे जानकारी ले रही हैं। वित्त मंत्रालय ने उद्योग को कोई प्रोत्साहन पैकेज देने की संभावना से इनकार किया है।
पिछले 6 दिनों में भारत में 3 लाख से ज्यादा नए संक्रमण के मामले सामने आए हैं। कुछ राज्यों ने पूरी तरह से या स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लगा दिया है, जिससे कोविड-19 के प्रसार को रोका जा सके। पिछले सप्ताह सरकार ने कहा था कि वह मई और जून महीने में गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मई और जून महीने में मुफ्त खाद्यान्न मुहैया कराएगी। पिछले साल देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से छोटे कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुए थे और लोगों की नौकरियां गई थीं व नकदी का संकट हो गया था। उसके बाद सरकार ने 3 लाख करोड़ रुपये सरकार समर्थित कर्ज योजना सहित एमएसएमई के लिए कई कदम उठाए थे।