वित्त मंत्रालय ने कोविड-19 बीमारी के टीकाकरण पर होने वाले खर्च के लिए पूंजी जुटाने के लिए उपकर लगाने की बात से इनकार किया है क्योंकि इसके लिए समाज के उच्च मध्यम वर्ग से लेकर अति धनाढ्य वर्गों से भी पैसे वसूलने से परहेज नहीं है। वित्त मंत्रालय के एक प्रमुख अधिकारी ने इसे भुगतान वाली सेवा बनाने के सवालों पर कहा कि वित्त मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय के विचारों के अनुरूप ही काम करेगा। उन्होंने कहा, ‘मैं कहूंगा कि जब हमारी टीकाकरण की बारी आएगी तब हमें और आपको भुगतान करना चाहिए। लेकिन यह स्वास्थ्य मंत्रालय को तय करना है। हम उसके ही अनुसार चलेंगे। अगर वे हमें इसे मुफ्त दे के लिए कहेंगे तब हम ऐसा करेंगे।’
इससे कोविड-19 के लिए एक विशेष उपकर लगाने की चर्चा खत्म हो जाएगी जिसके जरिये लगभग 18,000 करोड़ रुपये जुटाने का अनुमान था। अधिकारी ने बताया, ‘हम टीकाकरण के लिए जरूरी कोई भी राशि लगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसलिए राशि का इंतजाम कोई बड़ा मुद्दा नहीं है बल्कि सबसे बड़ी चुनौती 1.36 अरब आबादी को टीका देना है।’ सरकार के सूत्रों ने बताया कि सभी संबंधित मंत्रालय पूरे देश में टीके का वितरण करने के लिए कोल्ड-चेन लॉजिस्टिक्स के निर्माण पर बारीकी से काम कर रहे हैं। एक सरकारी सूत्र ने बताया, ‘खरीद और वितरण टीकाकरण के प्रमुख पहलू हैं और यही दोनों ही चीजें सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण भी हैं जिससे निपटने की जरूरत है।’ टीकाकरण के लिए लोगों को प्रशिक्षित करने और इस टीके की पेशकश डिजिटल रूप में करने को लेकर भी विचार-विमर्श किया जा रहा है ताकि यह कम समय में लोगों तक पहुंच सके। टीकाकरण की सभी लागत को लेकर कई अनुमान लगाए जा रहे हैं। हालांकि, सरकार ने कई मंचों पर यह आश्वासन दिया है कि टीके के लिए ज्यादा पूंजी उपलब्ध होगी और इसे चरणबद्ध तरीके से खर्च किया जाएगा। एक शुरुआती अनुमान में कहा गया है कि पूरे टीकाकरण कार्यक्रम के लिए सरकार को 50,000 करोड़ रुपये से 80,000 करोड़ रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं।
हालांकि सूत्रों ने कहा कि खर्च का सही अंदाजा लगाना भी इस बात पर निर्भर करता है कि किस तरह का टीका आएगा। उन्होंने कहा कि खर्च इस बात पर भी निर्भर करता है कि इसके लिए एक खुराक या दो खुराक की जरूरत होगी।
फिलहाल तीन टीके ऐसे हैं जिनका मानव क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है। इनमें भारत बायोटेक का कोवैक्सिन, जाइडस कैडिला का जाइकॉव-डी और ऑक्सफर्ड का कोविशील्ड टीका शामिल है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) सहित केंद्र सरकार के अधिकारियों ने प्रभावी कोविड.19 टीका वितरण प्रणाली को लेकर विचार-विमर्श किया है। सरकार टीका तैयार करने और उसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए रणनीतियों पर बारीकी से नजर रख रही है।
टीकाकरण के लिए जिम्मेदार प्रमुख मंत्रालयए स्वास्थ्य मंत्रालय भी एक डिजिटल मंच बनाने की प्रक्रिया में है जो टीका आपूर्ति शृंखला की निगरानी और टीके की वितरण प्रणाली में मदद करेगा जब एक बार इसकी उपलब्धता की पुष्टि हो जाएगी और लाभार्थी नामांकन प्रणाली की प्रक्रिया भी पूरी हो जाएगी। सरकार संक्रमण के मामले, जांच की संख्या के साथ-साथ मृत्यु दर के लिहाज से राज्यों की स्थिति का जायजा ले रही है। सरकार द्वारा नियुक्त पैनल टीका लगाने के काम, लॉजिस्टिक्स और वितरण पर ध्यान दे रहे हैं।
