अर्थव्यवस्था

श्रम और पूंजी में सही संतुलन बनाने की जरूरत : नागेश्वरन

नागेश्वरन ने कहा कि एआई के मध्यम अवधि परिणामों के बारे में सोचने की जिम्मेदारी सरकार के साथ साथ निजी क्षेत्र पर भी है।

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रुचिका चित्रवंशी   
शिवा राजौरा   
Last Updated- September 11, 2024 | 10:33 PM IST

भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने बुधवार को कहा कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) श्रम को बढ़ा भी सकती है और इसकी जगह भी ले सकती है, इसलिए दोनों के बीच सही सतुलन बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एआई के मध्यम अवधि परिणामों के बारे में सोचने की जिम्मेदारी सरकार के साथ साथ निजी क्षेत्र पर भी है।

पूंजी और श्रम के बीच सही संतुलन बनाने के महत्त्व का उल्लेख करते हुए नागेश्वरन ने कहा, ‘अगर हमें पूंजी की अधिकता या तकनीक की अधिकता के सामाजिक दुष्प्रभाव से बचना है तो हमें निजी क्षेत्र, सरकार और नागरिकों के बीच बड़े समझौते की जरूरत होगी। इससे हम जनांकिकीय लाभांश का फायदा उठा सकते हैं और सामाजिक व आर्थिक स्थिरता के साथ 2047 तक विकसित देश बनने का सपना हासिल कर सकते हैं। ’

ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (AIMA) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीईए ने कहा कि श्रम को संसाधन के रूप में देखा जाना चाहिए और और इस संपदा में मानव और भावनाएं भी शामिल होती हैं।

उन्होंने कहा कि पूंजी और श्रम को आर्थिक ढांचे में विशुद्ध रूप से अभाव और अधिशेष के रूप में देखना गलत धारणा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि श्रम को जिंस के रूप में देखने से विकसित देशों के छोटे कस्बों और शहरों का विनाश हुआ है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि शहरी भारत में श्रम बल की हिस्सेदारी कोविड के पहले के स्तर पर नही पहुंची है। सीईए ने कहा कि महामारी के बाद भारतीय उद्योग ने सुविधाजनक रूप से लचीली श्रम व्यवस्था अपना ली है, जिससे वेतन और लाभ का बिल कम हो गया है। उन्होंने कहा, ‘वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2023 के बीच कॉर्पोरेट का मुनाफा 4 गुना बढ़ा है।’

First Published : September 11, 2024 | 10:24 PM IST