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एनबीएफ सी ऋण योजना: नहीं हैं लिवाल

Last Updated- December 10, 2022 | 8:17 PM IST

पूंजी की कमी का सामना कर रही गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए सरकार ने भले ही घोषित विशेष सहायता राशि के तहत पूंजी उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है लेकिन बाद भी इन कर्जों के कोई लिवाल नहीं मिल रहे हैं।
दीगर बात है कि इन दिनों ऐसे कर्जों पर ब्याज दरों में 200 आधार अंकों की कमी की गई है लेकिन इसके बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। इस पूरे घटना पर नजर रख रहे सूत्रों का कहना है कि आईडीबीआई बैंक के स्ट्रेस्ड ऐसेट स्टैबलाइजेशन फंड (एसएएसएफ) ने मात्र 750 करोड़ रुपये के कर्ज के आवंटन की ही मंजूरी दी है।
गौरतलब है कि सरकार ने विशेष वित्तीय सहायता के तौर पर कम से कम 20,000 करोड रुपये के कर्ज की व्यवस्था की है। एनबीएफसी को उनके पत्रों और अपरिवर्तनीय डिबेंचर्स (एनसीडी) के बदले कर्ज की सुविधा उपलब्ध कराने का दायित्व एसएएसएफ को सौंपा गया है।
अभी तक मात्र चोलामंडलम डीबीएस फाइनैंस ने ही लघु अवधि की परिसंपत्तियों और कर्जों के असंतुलन को ठीक करने के लिए इस सुविधा का लाभ उठाया है, हालांकि कई अन्य कंपनियों से भी इस संबंध में पूछताछ की जा रही है। करीब 100 से अधिक गैर-जमा वाले बाजार में कारोबार के लिहाज से महत्वपूर्ण एनबीएफसी को उनके परिसंपत्ति और कर्जों के बीच के अंसतुलन को दुरूस्त करने के लिए इस सुविधा के लिए उपयुक्त पाया गया है।
इन कंपनियों की परिसंपत्तियों पर वैश्विक आर्थिक संकट के बाद काफी प्रतिकूल असर पडा है।सूत्रों के अनुसार सरकार की तरफ से पहल किए जाने के  बाद ब्याज दरों में कमी की गई थी क्योंकि एनबीएफसी ने कर्ज की दर अधिक होने के कारण विशेष ऋण सुविधा का लाभ उठा पाने में अपनी असमर्थता जताई थी।
हालांकि आधितारिक तौर पर यह कहा गया कि रेपो रेट में कटौती किए जाने के बाद दरों में कमी आई है और उधारी दर को फंड पर होने वाले खर्च से जोड़ दिया गया है। लेकिन सूत्रों ने इस बात की ओर इशारा किया कि रेपो रेट में मात्र 50 आधार अंकों की कमी की गई है और यह इस समय 5 फीसदी के स्तर पर आ गई है।
गौरतलब है कि खर्च की संरचना के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक को मौजूदा रेपो रेट से 400 आधार अंकों से ज्यादा का शुल्क लगाने का अधिकार है जबकि 1.5 फीसदी सरकारी गारंटी फीस के रूप में जोड़ा जाना होता है और एसएएसएफ को अपने प्रशासनिक और प्रबंधन खर्च की पूर्ति के लिए 350 आधार अंकों का शुल्क लगाने की छुट है।
फंडों की कीमत ज्यादा होने के अलावा एनबीएफसी ही कर्जों की राशि के इस्तेमाल को लेकर पैदा हो रही कुछ परेशानियों को भी कर्जों की आवंटन में कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया है। इसके अलावा इस बात पर भी चिंता व्यक्त की गई कि यह सुविधा सिर्फ तीन महीने के लिए उपलब्ध है, जिसे देखकर,बकौल कंपनी, उनके लिए इतने कम समय में संसाधन जुटाना आसान नहीं है।

First Published - March 17, 2009 | 3:23 PM IST

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