भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने समीक्षा बैठक में लगातार पांचवीं बार रीपो दर 6.5 फीसदी पर बरकरार रखी है। उसने उदार रुख वापस लेने के कदम जारी रखे हैं और यह स्पष्ट नहीं किया है कि दर वृद्धि का चक्र कब थमेगा।
मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में भले ही कोई फेरबदल नहीं किया गया हो मगर इसका मुख्य आकर्षण चालू वित्त के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि के अनुमान को बढ़ाना रहा। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान पहले के 6.5 फीसदी से बढ़कर 7 फीसदी कर दिया है। मगर चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.4 फीसदी पर कायम रखा है।
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास का जोर इस बात पर था कि मुद्रास्फीति सक्रिय रूप से कम बनी रहनी चाहिए। उन्होंने आगाह करते हुए कहा, ‘नीति निर्माताओं को कुछ महीनों के अच्छे आंकड़ों से यह नहीं समझना चाहिए कि खुदरा मुद्रास्फीति लक्षित दायरे में आ गई है। उन्हें ज्यादा सख्ती के जोखिम के प्रति भी सचेत रहना होगा, खास तौर पर जब बड़े संरचनात्मक बदलाव, भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक बदलाव हो रहे हों।’
हालांकि दास ने स्पष्ट किया कि अत्यधिक सख्ती नहीं करने के विचार को उनके दृष्टिकोण में बदलाव की संभावना नहीं समझा जाए। उन्होंने कहा कि 2022 में मुख्य मुद्रास्फीति लगातार 6 फीसदी के ऊपर बनी हुई थी, उसके बाद से मौद्रिक नीति ने मुद्रास्फीति को 5 फीसदी से नीचे लाने में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने कहा, ‘हम ऐसे दौर में पहुंच गए हैं जहां समग्र आर्थिक और वित्तीय स्थिरता
सुनिश्चित करने के लिए हर कदम पर सावधानी से विचार करना होगा क्योंकि आगे स्थितियां अस्थिर हो सकती हैं। कुल मिलाकर हमें ज्यादा सतर्क रहना होगा और उभरती संभावनाओं के अनुसार कदम उठाने के लिए तैयार रहना होगा।’
दास ने कहा कि खाद्य कीमतों में अनिश्चितता के कारण आगे की राह कठिन हो सकती है और नवंबर के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े ज्यादा रह सकते हैं। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति का प्रबंधन खुद ब खुद नहीं हो सकता।
बाजार ने इस नीति को पिछली दो समीक्षा की तुलना में नरम बताया है। अगस्त की नीतिगत समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने बैंकों के लिए अस्थायी वृद्धिशील नकद आरक्षी अनुपात को अनिवार्य बनाया था और अक्टूबर में दास ने तरलता बढ़ाने के लिए खुले बाजार में बॉन्डों की संभावित बिक्री के बारे में बात की थी।
डॉयचे बैंक के भारत में मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक दास ने कहा, ‘जीडीपी वृद्धि में उम्मीद से ज्यादा वृद्धि को छोड़ दें तो आरबीआई ने कुछ नया नहीं किया है। इसे थोड़ा नरम रुख माना जा सकता है। दर वृद्धि के मौजूदा चक्र में पहली बार आरबीआई ने ज्यादा सख्ती के संभावित जोखिमों का जिक्र किया है। मगर इसका यह मतलब नहीं है कि आरबीआई दरों में जल्द कटौती के लिए तैयार है।’
नोमुरा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025 में मुद्रास्फीति 4 फीसदी के करीब आती है और जीडीपी वृद्धि आरबीआई के अनुमान 6.5 फीसदी से नीचे रहती है तब आरबीआई को वास्तविक दरों पर फिर से सोचना पड़ सकता है।
नोमुरा ने कहा, ‘हम अपने अनुमान पर कायम हैं कि आरबीआई दर में कुल 100 आधार अंक की कटौती का दौर शुरू करेगा, जिसकी शुरुआत अगस्त से होगी।’
केंद्रीय बैंक वृद्धि दर पर काफी आशावादी नजर आया क्योंकि दास ने कहा कि वृद्धि पटरी पर लौट रही है और मजबूत बनी हुई है, जिससे सभी को आश्चर्य हुआ। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि 7.6 फीसदी रही जो केंद्रीय बैंक के 6.5 फीसदी अनुमान से अधिक है।
वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर 7 फीसदी करने पर भारतीय स्टेट बैंक के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा, ‘जीडीपी वृद्धि का अनुमान बढ़ाकर 7 फीसदी करना आशावादी और वाजिब लगता है तथा वृद्धि इससे भी ज्यादा रह सकती है।’
तरलता की कमी पर आरबीआई ने कहा कि त्योहारी मौसम में ज्यादा मुद्रा निकाले जाने, सरकारी नकद शेष में कमी और रिजर्व बैंक के बाजार परिचालन से बैंकिंग तंत्र में नकदी कम हुई है।
दास ने कहा, ‘बैंकिंग तंत्र में नकदी अक्टूबर के अनुमान से भी कम रही है। इसके कारण अभी तक ओएमओ बिक्री की जरूरत नहीं पड़ी है।’ आरबीआई ने कहा कि सरकारी खर्च बढ़ने से आगे तरलता की स्थिति में सुधार आ सकता है और केंद्रीय बैंक तरलता प्रबंधन पर नजर रखेगा।