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मोदी ने पेश किया कृषि बुनियादी ढांचा कोष

Last Updated- December 15, 2022 | 3:35 AM IST

केंद्र सरकार ने करीब 1,300 करोड़ रुपये की कृषि बुनियादी ढांचा परियोजनाएं पेश की हैं, जिन्हें 2,282 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के माध्यम से लागू किया जाएगा। यह मोदी सरकार की अगले कुछ साल में किसानों के समूहों और किसानों को एक लाख करोड़ रुपये के करीब वित्तपोषण की महत्त्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है। 
यह वित्तपोषण फसल तैयार होने के बाद गांवों में व्यावहारिक बुनियादी ढांचा तैयार करने और नौकरियों के सृजन के लिए होगा। कृषि बुनियादी ढांचा कोष शुरू करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि इस समय देश में कृषि उत्पादन को लेकर समस्या नहीं है, बल्कि फसल तैयार होने के बाद होने वाले नुकसान से समस्या है और ऐसे में फसल तैयार होने के बाद की बुनियादी ढांचा जरूरतों को दुरुस्त करने की कवायद की जा रही है, जिससे किसानों को बेहतर मुनाफा हो सके। उन्होंंने कहा कि इसकी राह में आने वाली कानूनी दिक्कतें दूर की जा रही हैं कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार किए जा रहे हैं, जिससे फसल तैयार होने के बाद का बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए ग्रामीण इलाकों में निवेश को बढ़ावा मिले।
उन्होंने आज पीएम-किसान योजना के तहत करीब 9 करोड़ पात्र किसानों को 2,000 रुपये की छठी किस्त भी जारी की, जिसकी कुल राशि करीब 17,000 करोड़ रुपये है।
बहरहाल बुनियादी ढांचा कोष के तहत सरकार सहकारी समितियों, एफपीओ, स्टार्टअप और अन्य को छूट वाली दरों पर 10,000 करोड़ रुपये चालू वित्त वर्ष में देगी।
योजना के तहत 3 प्रतिशत ब्याज छूट पर 7 साल के लिए उद्यमियों को 2 करोड़ रुपये तक कर्ज मुहैया कराया जाएगा। इस कर्ज के किस्त की भुगतान को टालने की छूट मिलेगी, जो 6 महीने से 2 साल तक के लिए होगा। 12 सरकारी बैंकों में से 11 ने पहले ही कर्ज देने के लिए कृषि मंत्रालय के साथ शुरुआती समझौता किया है।
धन दिए जाने के साथ कृषि विपणन को मुक्त किए जाने, आवश्यक जिंस अधिनियम और ठेके पर कृषि के ढांचे को लेकर जारी अध्यादेश से निजी कंपनियों को निवेश में सहूलियत मिलेगी और उन्हें भंडारण सुविधा और गोदामों में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।  कृषि बुनियादी ढांचा फंड के दूसरे साल  2021-22 और उसके बाद सरकार का लक्ष्य हर साल अगले 3 साल तक 30,000 करोड़ रुपये कर्ज देने का लक्ष्य है। इस योजना की अवधि वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2029 तक दस साल के लिए होगी।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत में फसल तैयार होने के बाद के प्रबंधन जैसे गोदाम, कोल्ड चेन में निवेश और खाद्य प्रसंस्करण और ऑर्गेनिक व फोर्टीफाइड फूड में वैश्विक मौजूदगी दर्ज कराने की अपार संभावनाएं हैं। 
किसानों को बेहतर बाजार मुहैया कराने की दिशा में उठाए गए अन्य कदमों में प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार 10,000 एफपीओ बनाने और 350 कृषि स्टार्टअप को सहायता देकर उन्हे कृषि उद्यमी बनाने को प्रोत्साहित कर रही है।
सरकार ने कृषि रेल भी शुरू की है, जिससे किसानों को खराब होने वाले कृषि उत्पादों को दबाव में आकर बेचने से बचाया जा सके।
स्यानजेंटा इंडिया लिमिटेड के चीफ सस्टेनिबिलिटी ऑफिसर केसी रवि ने कहा, ‘एक लाख करोड़ रुपये के कृषि बुनियादी ढांचा कोष में छोटे किसानों की तकलीफें दूर करने की कोशिश की गई है। इससे उन्हें यह ताकत मिलेगी कि वे अपने उत्पादों को खुद के गोदाम बनाकर बेहतर देखभाल कर सकेंगे या उन्हें अपनी फसल देंगे, जो बेहतर दाम दें। फसल तैयार होने के बाद का नुकसान छोटे किसानों का सबसे बड़ा दर्द है और यह कार्यक्रम उसी समस्या के समाधान की कवायद है।’
उधर सरकार ने आज गया है कि उसने कृषि मशीनरी और निर्माण उपकरणों के लिए अलग से उत्सर्जन मानकर जारी दिए हैं। इस अधिसूचना में उत्सर्जन मानक का नाम भी बदलकर भारत स्टे जे टीआरईएम स्टेज कर दिया गया है, जिससे कि कोई भ्रम न रहे। यह बीएस को मानक के रूप में मानने वाले अन्य मोटर वाहनों और कृषि व निर्माण उपकणों को लेकर किसी तरह से भ्रम से बचने के लिए किया गया है।

First Published - August 9, 2020 | 11:34 PM IST

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