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Mission Mausam: कृत्रिम बारिश पर शोध जारी, मॉनसून पर आकलन बेहतर

Mission Mausam: आईएमडी के मिशन मौसम को केंद्र की मंजूरी, 2,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित

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रमणी रंजन महापात्र   
Last Updated- October 24, 2024 | 9:50 PM IST

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि केंद्र सरकार ने बीते महीने मिशन मौसम कार्यक्रम को मंजूरी देते हुए दो वर्ष के लिए 2,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। नई दिल्ली में रमणी रंजन महापात्र को दिए साक्षात्कार में आईएमडी प्रमुख ने मौसम का अनुमान लगाने की प्रणाली, कृत्रिम बारिश, ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के इस्तेमाल के तरीके पर बातचीत की। पेश हैं संपादित अंश :

क्या आप मिशन मौसम कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बता सकते हैं?

मिशन मौसम का उद्देश्य आईएमडी के मौसम की पूर्वानुमान सेवा को बेहतर करना है। हमारा ध्येय इस पहल के जरिये हमारे आकलन, संचार के मॉडल, अनुमान और चेतावनी जारी करने की प्रणाली में सुधार करना है। कृत्रिम बारिश को लेकर शोध अभी जारी है। अभी तक यह नहीं कहा गया है कि हम इसे करेंगे। भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान विभाग (आईआईटीएम) कृत्रिम वर्षा पर बीते कई वर्षों से शोध कर रहा है।

इस मिशन के तहत बादलों और कृत्रिम बारिश को लेकर शोध और विकसित करने का लक्ष्य है। इसके लिए आखिरकार क्लाउड चैम्बर विकसित करने की जरूरत हो सकती है। आईआईटीएम के अध्ययन से हमें न केवल बादलों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी, बल्कि यह भी पता चलेगा कि पूर्वानुमानों को बेहतर बनाने के लिए इस शोध को हमारी मॉडलिंग प्रणालियों में कैसे एकीकृत किया जा सकता है। इसमें बारिश को बढ़ाने या कम करने की संभावना पर भी अध्ययन किया जाएगा।

इस साल आईएमडी का पूर्वानुमान कितना सही था?

दक्षिण पश्चिम मॉनसून साल 2024 में बहुत अच्छा था। देश में बारिश का औसत 87 सेंटीमीटर या दीर्घावधि औसत 107.6 प्रतिशत था और यह सामान्य से अधिक है। यह हमारे सामान्य से अधिक के हमारे पूर्वानुमान के मुताबिक ही है। हमने इसके पूर्वानुमान से 4 प्रतिशत कम या ज्यादा होने का अनुमान भी जताया था। हमने मॉनसून के क्षेत्रीय असर के बारे में अनुमान जताया था।

हमने पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों, पूर्व के कुछ हिस्सों और जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के समीपवर्ती इलाकों को छोड़कर देश के अन्य हिस्सों में सामान्य से लेकर सामान्य से अधिक तक की बारिश का अनुमान जताया था। हमारा क्षेत्रवार अनुमान करीब 80 प्रतिशत तक सटीक रहा। हम मौसम का इतना सटीक अनुमान 2021 से शुरू किए गए मल्टी मॉडल सामूहिक अनुमान की बदौलत कर सके हैं। इस सामूहिक अनुमान की बदौलत हम क्षेत्रवार, मासिक और मौसमी अनुमान जता सकते हैं।

उत्तरी राज्यों में मौसम की चरम परिस्थितियों के क्या कारण हैं?

उत्तर-पश्चिम भारत में मॉनसून के देरी से वापस जाने का रुझान है और यह इस साल भी जारी है। राजस्थान से आमतौर पर पहले मॉनसून1 सितंबर को वापस जाता था लेकिन इस बार 15 से 17 सितंबर को वापस हटना शुरू हुआ है। हालांकि प्रायद्वीपीय भारत से मॉनसून वापस जाने की तारीख वही रही जबकि मध्य भारत में इसमें एक हफ्ते की कमी आई है।

तापमान की बात की जाए तो 2024 अल नीनो वर्ष था। आकलन के अनुसार ही ज्यादा तीव्र व लंबी लू की स्थितियां सामने आईं थीं। वैश्विक स्तर पर ग्लोबल वार्मिंग की भूमिका रहती है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण बारिश और बढ़ते तापमान के पैटर्न में जबरदस्त बदलाव आया है।

First Published : October 24, 2024 | 9:50 PM IST