Lok Sabha Election 2024: अगले महीने शुरू हो रहे आम चुनाव के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार बुनियादी ढांचा विकास को अहम मुद्दा बना रही है और इन महत्त्वपूर्ण विभागों को संभालने वाले मंत्रियों ने चर्चा के प्रमुख बिंदु तैयार कर लिए हैं। वे अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान इन बिंदुओं को ही उठाएंगे। रेलवे से लेकर बिजली, कोयला और पेट्रोलियम तक प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों को ही नहीं बल्कि भविष्य के वादों को भी पार्टी चुनाव के लिए सामने लाएगी।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव देश में प्रीमियम ट्रेन वंदे भारत की सेवाओं में विस्तार के साथ-साथ अमृत भारत स्टेशन जैसी अन्य योजनाओं के जरिये बदलाव लाने वाली परियोजनाओं पर ज्यादा जोर देने का वादा कर सकते हैं। रेल मंत्रालय ने 24,000 करोड़ रुपये की लागत से करीब 1,300 स्टेशनों का नए सिरे से विकास करने की योजना बनाई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भाजपा अपनी अन्य उपलब्धियों के अलावा अगले पांच वर्षों में कई सेमी हाई-स्पीड और हाई-स्पीड रेल लाइनें देने के अपने वादे को दोगुना करने पर भी विचार कर रही है।
बालासोर ट्रेन दुर्घटना जैसे मामलों में खामियों के लिए केंद्र को कड़ी आलोचना सहनी पड़ी थी। इसलिए सरकार अब स्वदेशी टक्कर रोधी प्रणाली ‘कवच’ को अधिक से अधिक लागू करने को चर्चा का तीसरा प्रमुख मुद्दा बनाना चाहती है। भाजपा वादा कर सकती है कि रेलवे अब पूरी तरह स्वदेशी टक्कर रोधी प्रणाली से लैस होगी। फिलहाल यह प्रणाली रेलवे नेटवर्क के करीब 1,500 किलोमीटर मार्ग पर ही काम कर रही है, जो महज
1 फीसदी है। इसके विस्तार के लिए जल्द ही कई निविदाएं जारी होने की उम्मीद है। जब लोको पायलट यानी इंजन स्टॉप सिग्नल को पार कर जाते हैं तो स्वचालित चेतावनी एवं ब्रेकिंग प्रणाली ट्रेन को टक्कर से बचाती है मगर यह रेल प्रणाली में आवश्यक सुरक्षा का महज एक छोटा सा हिस्सा है।
भाजपा के दिग्गज नेता नितिन गडकरी के नेतृत्व में सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय राजमार्ग के रिकॉर्ड निर्माण पर जोर दे रहा है। इसके अलावा वह सड़क क्षेत्र में निवेश बढ़ाने और परिवहन क्षेत्र को हरित ईंधन के अनुकूल बनाने पर ध्यान दे रहा है। हाल में गडकरी ने कहा था कि उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि सड़क निर्माण नहीं बल्कि ई-रिक्शा है। ई-रिक्शा ने सस्ती और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन व्यवस्था को तो बढ़ावा दिया ही है और जमीनी स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा किए हैं।
आम आदमी और उद्योग दोनों के लिए ऊर्जा सुरक्षा भाजपा का प्रमुख चुनावी मुद्दा है। इसमें गरीबों के लिए रसोई गैस की उपलब्धता एवं सब्सिडी पर ध्यान केंद्रित किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि ग्रामीण एवं शहरी यानी दोनों क्षेत्रों में तेल मंत्रालय को पीएम उज्ज्वला योजना और इस योजना को 2026 तक बढ़ाने के सरकार के फैसले पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा गया है।
सरकार ने सितंबर 2023 में घोषणा की थी कि कम से कम 75 लाख नए कनेक्शन दिए जाएंगे। इससे उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन की कुल संख्या बढ़कर 10.35 करोड़ हो जाएगी। उज्ज्वला के तहत 200 रुपये की लक्षित सब्सिडी को पिछले साल अक्टूबर से बढ़ाकर 300 रुपये किए जाने पर विशेष जोर दिया जाएगा।
उज्ज्वला योजना के दायरे से बाहर के परिवारों के लिए सिलिंडर की कीमत में लगातार दो बार कटौती किए जाने पर जोर दिया जाएगा। हाल ही में महिला दिवस के अवसर पर रसोई गैस सिलिंडर की कीमत में 100 रुपये की कटौती की गई है।
देश के सभी इलाकों में शहरी गैस वितरण नेटवर्क स्थापित करने, शहरी गैस वितरण के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित करने और प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों के विस्तार के लिए तेजी से काम किए जाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। जहां तक तेल का सवाल है तो यूक्रेन और गाजा में जारी संघर्ष के बावजूद देश में पेट्रोल-डीजल महंगा नहीं हुआ है। भाजपा इसे भी भुना सकती है। साथ ही वह पेट्रोल और डीजकी कीमतों में 2 रुपये की कटौती का भी बढ़-चढ़कर प्रचार करेगी।
बिजली आपूर्ति के ढांचे में सुधार पर बिजली मंत्रालय का जोर रहेगा। सौभाग्य योजना के तहत 100 फीसदी परिवारों के विद्युतीकरण की सफलता सामने लाई जाएगी। इसके अलावा ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति के औसत घंटों में सुधार और
कई मानदंडों पर बिजली वितरण कंपनियों के कामकाज में सुधार हुआ है। अधिकारियों ने कहा कि हरित ऊर्जा, पारेषण और वितरण के नए क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने के लिए बिजली क्षेत्र में हो रहे बदलाव को भी उजागर किया जा रहा है।
हाल के वर्षों में कोयला मंत्रालय ने कोयले में आत्मनिर्भरता की दिशा में अपना प्रयास तेज कर दिया है। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने उद्योग हितधारकों के साथ अपनी चर्चा में कोयला लॉजिस्टिक्स में सुधार के लिए नए जमाने के उपकरणों का वादा किया है। इससे बिजली की बचत होगी और विभिन्न धातु एवं विनिर्माण क्षेत्रों के लिए ईंधन लागत भी कम होगी।