Budget 2024: माइक्रोफाइनैंस (सूक्ष्म वित्त) उद्योग ने सरकार से वृद्धि पूंजी के लिए 500 करोड़ रुपये की इक्विटी के साथ-साथ छोटे ऋण लेने वालों के लिए गारंटी उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। केंद्रीय बजट से अपनी उम्मीद जाहिर करते हुए इंडस्ट्री ने यह मांग की है। आम बजट जुलाई के दूसरे पखवाड़े में पेश किए जाने की उम्मीद है।
सूक्ष्म वित्त संस्थानों के स्व-नियामक संगठन सा-धन ने वित्त मंत्री से आग्रह किया, ‘देश की जिस आबादी तक एमएफआई सुविधाएं प्रदान नहीं कर पा रही है, वहां सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए एमएफआई को तेजी से बढ़ने और विस्तार करने की जरूरत है। इसके लिए पूंजी को बढ़ाने की जरूरत है। लिहाजा सरकार नाबार्ड में इंडिया माइक्रोफाइनैंस इक्विटी फंड (आईएमईएफ) जैसा विशेष कोष बना सकती है। इससे छोटे और नए एमएफआई को इक्विटी मदद मिल सकती है। इसके लिए 500 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए जा सकते हैं।’
सा-धन ने बताया कि माइक्रोफाइनैंस संस्थानों (एमएफआई) का फिलहाल पांच करोड़ से अधिक घरों पर 1.5 लाख करोड़ रुपये की उधारी बकाया है। इन ग्राहकों में 75 फीसदी ग्रामीण और दूरदराज इलाकों के हैं और ऋण लेने वाले ये लोग 2015 से प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) को लागू करने में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।
सा-धन ने बताया कि छोटे एमएफआई में ज्यादातर का पोर्टफोलियो 1,000 करोड़ रुपये से कम है। इन्हें मुख्यधारा के ऋणदाताओं जैसे बैंकों और वित्तीय संस्थानों से ऋण जुटाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इन्हें मुश्किलें इसलिए आ रही हैं क्योंकि इनका आकार छोटा है और इससे इनकी रेटिंग भी कम होती है। इस क्रम में सरकार को छोटे एमएफआई को एक सरकारी गारंटी कोष उपलब्ध कराने का सुझाव दिया गया है।
वित्त मंत्री से अनुरोध किया गया, ‘सरकार छोटे एमएफआई के लिए गारंटी कोष भी बना सकती है। यह कोष नाबार्ड की सब्सिडी नैबसंरक्षण या सिडबी के एनसीजीटीसी के तहत बनाया जा सकता है। यह कोष बैंकों और वित्तीय संस्थानों से उधारी लेने की स्थिति में गारंटी कवर का विस्तार कर सकता है। इसकी शुरुआत 1000 करोड़ रुपये के कोष से की जा सकती है।’
सा-धन ने मणिपुर में एक साल से जारी तनाव के कारण पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए विशेष कोष गठित करने का सुझाव दिया है। मणिपुर में ऋण देने वाले कई छोटे ऋणदाता प्रभावित हुए हैं।
इसके अनुसार, ‘मणिपुर में एमएफआई उद्योग स्थिर था। उन्होंने बीते समय में राज्य के लोगों को कर्ज दिए थे। लेकिन जीवन और आजीविका के नुकसान से माइक्रो फाइनैंस संस्थाओं के साथ ऋण लेने वाले प्रभावित हुए हैं। ऋण लेने वाले उधारी को चुकाने की स्थिति में नहीं हैं। लिहाजा माइक्रोफाइनैंस संस्थान इन ऋणदाताओं के ऋण नहीं चुकाने की स्थिति के कारण नए उधारी देने के लिए ऋण नहीं जुटा पा रहे हैं।’
सा-धन ने अनुदान निधि, या कम ब्याज वाला कोष बनाने का सुझाव दिया है। उसने कहा, ‘ऐसे कोष का इस्तेमाल एमएफआई को नई उधारी देने के लिए किया जा सकता है। इससे एमएफआई अपने कारोबार को शुरू कर सकेंगे और गरीब लोगों को ऋण मुहैया कराकर मदद कर सकते हैं। इससे लघु उद्यम गतिविधियों से राज्य की अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा किया जा सकता है। लिहाजा इस उद्देश्य के लिए 200 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की जा सकती है।’