भारत की कुछ प्रमुख धातु कंपनियों का कहना है कि कोविड-19 महामारी के बाद चीन में आर्थिक गतिविधियों में सुधार होने से कमोडिटी कीमतों को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। उनका यह भी मानना है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का फिर से पटरी पर लौटना, खासकर ऐसे समय में मांग के लिहाज से सकारात्मक है, जब अमेरिका और यूरोप जैसे बाजारों पर कुछ समय से मंदी की चिंताएं हावी हैं।
Hindalco के प्रबंध निदेशक (MD) Satish Pai ने कहा, ‘मेटल व्यवसाय में हम में से ज्यादातर का मानना है कि चीनी अर्थव्यवस्था में सुधार आया है, क्योंकि किसी भी तरह की धातु की 50 प्रतिशत मांग (एल्युमीनियम समेत) चीन से आती है। ’
मंगलवार को Hindustan Zinc, Hindalco, National Aluminium Company (NALCO), Tata Steel और Steel Authority of India (SAIL) के शेयर BSE पर बढ़त के साथ बंद हुए, क्योंकि इस क्षेत्र में धारणा सकारात्मक बनी हुई है। हालांकि BSE Metal Index पिछले दिन के बंद भाव की तुलना में मामूली 0.3 प्रतिशत गिरकर बंद हुआ, बुधवार को अमेरिकी फेडरल रिजर्व की प्रस्तावित बैठक से पहले बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है।
बीएस रिसर्च ब्यूरो द्वारा एकत्रित आंकड़ों से पता चलता है कि जहां जस्ता, सीसा, निकल, एल्युमीनियम और तांबा जैसी धातुओं की कीमतें लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) पर 20 फरवरी के बंद भाव की तुलना में 1.4-2.4 प्रतिशत तक चढ़ीं, वहीं टिन जैसी कमोडिटी में समान अवधि के दौरान 1.6 प्रतिशत की कमजोरी आई। आंकड़े के अनुसार, इस साल अब तक जस्ता, एल्युमीनियम, तांबे की कीमतें एलएमई पर 3-7 प्रतिशत तक चढ़ी हैं, जबकि सीसा और निकल में 10-14 प्रतिशत की गिरावट आई है।
विश्लेषकों की ताजा बैठक में वेदांत के मुख्य कार्याधिकारी सुनील दुग्गल ने कहा कि चीन में आर्थिक गतिविधियां फिर से सामान्य हो रही हैं, जिससे धातु क्षेत्र में वृद्धि के लिए अवसर पैदा हो रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘चीन के जीरो-कोविड नीति से बाहर निकलने से इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं निर्माण क्षेत्रों के निवेश में मदद मिल सकती है, जो वैश्विक धातुओं की मांग के लिए सकारात्मक है।’
हिंदुस्तान जिंक के मुख्य कार्याधिकारी (CEO) अरुण मिश्रा ने कहा कि उन्हें जस्ता की वैश्विक खपत कैलेंडर वर्ष 2023 में सालाना आधार पर 1.4 प्रतिशत तक बढ़कर 1.4 करोड़ टन पर पहुंचने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष 1.38 करोड़ टन थी।
उन्होंने विश्लेषकों के साथ बातचीत में कहा, ‘कोविड संबंधित सख्ती तेजी से हटने और अमेरिकी मुद्रास्फीति में नरमी आने से जस्ता की कीमतों को मदद मिली है। हमें उम्मीद है कि यह रुझान आगे भी बना रहेगा।’ बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ हाल में हुई बातचीत में मिश्रा ने कहा था कि भारत और चीन प्रमुख उपभोक्ता देश होंगे, क्योंकि इन बाजारों में इन्फ्रास्ट्रक्चर को तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘हमें इन देशों (भारत और चीन) में मांग 3-4 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। दूसरी तरफ, वैश्विक मांग इस साल 2.5 प्रतिशत के आसपास रहेगी।’
कैलेंडर वर्ष 2023 के लिए अपने आउटलुक में, वैश्विक खनन कंपनी बीएचपी ने मंगलवार को कहा कि उसे पिछले साल के मुकाबले मेटल कीमतें ऊंची रहने की संभावना है।
इक्विनोमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम का कहना है कि उन्हें मौजूदा कैलेंडर वर्ष की दूसरी छमाही में धातु कीमतें मजबूत रहने का अनुमान है। उनका मानना है कि धातुओं के लिए परिवेश पिछले साल की तुलना में मौजूदा समय में निश्चित तौर पर बेहतर है और 2023 की दूसरी छमाही धातु कंपनियों के लिए और ज्यादा बेहतर रहेगी, क्योंकि विकसित दुनिया मंदी की चुनौतियों से बाहर निकल सकती है। इसके अलावा चीन की अर्थव्यवस्था का फिर से खुलना इस क्षेत्र की कंपनियों के लिए मददगार हो सकता है।