भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के तहत वित्त वर्ष 24 के अप्रैल-जून के दौरान 9.1 अरब डॉलर विदेश भेजा गया, जिसमें वित्त वर्ष 23 की पहली तिमाही की तुलना में 50.64 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। मुख्य रूप से इक्विटी व डेट में निवेश, जमा और अंतरराष्ट्रीय यात्राएं सामान्य होने की वजह से ऐसा हुआ है।
रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक एलआरएस के तहत वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में 9.1 अरब डॉलर भेजा गया, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में 6.05 अरब डॉलर भेजा गया था। 2022-23 की अंतिम तिमाही की तुलना में विदेश धनप्रेषण 17 प्रतिशत बढ़ा है।
एलआरएस योजना 2004 में आई थी। इसमें सभी भारतीयों को व्यक्तिगत रूप से एक वित्त वर्ष में 2,50,000 डॉलर भेजने की अनुमति मिली थी, जो किसी भी अनुमति प्राप्त चालू या पूंजी खाते या दोनों खातों से मिलाकर बगैर किसी शुल्क भेजा जा सकता है। शुरुआत में इस योजना के तहत 25,000 डॉलर भेजने की अनुमति थी, जिसे बाद में बढ़ाया गया।
पिछले साल की तुलना में इक्विटी व डेट निवेश बढ़ने, अचल संपत्ति खरीदने व जमा की वजह से विदेश धनप्रेषण बढ़ा है। वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में इक्विटी व डेट में निवेश बढ़कर 50.373 करोड़ डॉलर हो गया, जो एक साल पहले 22.374 करोड़ डॉलर था।
इसी तरह अचल संपत्ति में निवेश 122 प्रतिशत बढ़कर 8.994 करोड़ डॉलर हो गया है। विदेश में जमा करीब 62 प्रतिशत बढ़कर 43.059 करोड़ डॉलर हो गया है।
इन क्षेत्रों में धनप्रेषण में तेजी की एक वजह यह है कि एलआरएस पर स्रोत पर कर संग्रह 1 अक्टूबर 2023 तक के लिए टाल दिया गया है।