बहुराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कंपनियों से लोगों को निकाले जाने की खबरों के बीच हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत में चिकित्सा, खाद्य सेवा, निर्माण और शिक्षा जैसे गैर-प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में कुशल युवाओं की मांग बढ़ गई है।
वैश्विक रोजगार वेबसाइट इंडीड के मासिक आंकड़ों के अनुसार, उसके मंच पर दिसंबर, 2022 में सबसे ज्यादा दंत चिकित्सा या नर्सिंग जैसे चिकित्सा संबंधी क्षेत्रों में नौकरियों के आवेदन मांगे गए।
रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद खाद्य सेवाओं (8.8 फीसदी), निर्माण (8.3 फीसदी), आर्किटेक्ट (7.2 फीसदी), शिक्षा (7.1), थेरेपी (6.3 फीसदी) और विपणन (6.1 फीसदी) क्षेत्र की नौकरियों के विज्ञापन निकाले गए।
रिपोर्ट में बताया गया है कि निर्माण और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में कोरोना काल के बाद कारोबार की स्थिति तेजी से सामान्य हो रही र्है। रिपोर्ट में कहा गया कि यहां तक कि कोरोना महामारी काल में लोगों को सबसे पहले नौकरी से निकालने वाले विपणन या मार्केटिंग क्षेत्र ने भी गति पकड़ ली है।
पिछले साल ब्रांड्स ने ग्राहकों के अनुभव को बढ़ाने के साथ-साथ व्यापार और बिक्री से मांग वृद्धि कराने के लिए विपणन की जरूत को समझा है। यह रिपोर्ट इंडीड मंच पर दिसंबर, 2021 से दिसंबर, 2022 तक डाले गए नौकरियों के आंकड़ों पर आधारित है।
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि नौकरियों के विज्ञापन के मामले में 16.5 फीसदी हिस्सेदारी के साथ बेंगलूरु सबसे आगे रहा। इसके बाद मुंबई (8.23 फीसदी), पुणे (6.33 फीसदी) और चेन्नई (6.1 फीसदी) का नंबर आता है।
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अहमदाबाद, कोयंबटूर, कोच्चि, जयपुर और मोहाली जैसे दूसरी श्रेणी के शहर से 6.9 फीसदी नौकरियों के लिए आवेदन मांगे गए। इससे पता चलता है कि छोटे शहरों में भी नौकरियों की मांग बढ़ रही है।