कर विभाग ने कहा है कि फिलहाल रोजाना 4 लाख आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल किए जा रहे हैं। विभाग का यह आंकडा 3 दिसंबर तक का है। विभाग के मुताबिक आईटीआर दाखिल करने की 31 दिसंबर, 2021 की समय सीमा तक लक्ष्य को पूरा करने के लिए अब बहुत तेज गति से रिटर्न दाखिल करने की जरूरत है।
महामारी से पूर्व के वर्ष 2018-19 में करीब 6.74 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए थे। आयकर विभाग ने कहा है कि इस साल अब तक करीब 3.03 करोड़ रिर्टन ही दाखिल हो पाए हैं। इसका मतलब है कि अगले तीन से चार हफ्तो में कम से कम और 3.71 करोड़ रिटर्न दाखिल करने की जरूरत है। इस हिसाब से रोजाना 13 लाख रिटर्न भरने की आवश्यकता है। इस साल आरंभ में आयकर वेबसाइट में कुछ व्यवधान पैदा हो गए थे जिसके कारण सरकार ने आयकर भरने की समय सीमा को दिसंबर के अंत तक बढ़ा दिया था। अब नए लक्ष्य को पूरा करने के लिए रोजाना तीन गुना गति से रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता है। विभाग यह मानकर चल रहा है कि आयकर भरने वालों की संख्या महामारी से पूर्व के स्तर पर ही बनी हुई है।
लोकसभा में दिए गए जवाब में कहा गया है कि महामारी शुरू होने के बाद की अवधि में 7.39 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए। इस हिसाब से दिसंबर तक के लक्ष्य को पूरा करने के लिए रोजाना 16 लाख रिटर्न दाखिल किए जाने की जरूरत है। इस प्रकार रोजाना भरे जाने वाले रिटर्न की संख्या अब करीब चार गुना होनी चाहिए। इसमें यह मानकर चला जा रहा है कि रिटर्न दाखिल करने वाली संस्थाओं की संख्या में कोई इजाफा नहीं हुआ है।
पिछले वर्ष आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या में जबरदस्त उछाल आई थी। वित्त वर्ष 2014 में इसकी कुल संख्या करीब 3.8 करोड़ थी। यह वित्त वर्ष 2019 में बढ़कर 6.74 करोड़ पर पहुंच गई। आंंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि रिटर्नों की सर्वाधिक संख्या कम आय वाली श्रेणियों की होती है।
वित्त वर्ष 2018 में दाखिल किए गए कुल रिटर्नों में 2 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक की कमाई करने आयकर दाताओं की संख्या 54.3 फीसदी थी। इस वर्ष से दाखिल किए गए कर रिटर्नों पर विस्तृत आंकड़े प्राप्त हो सकेंगे। 5 लाख रुपये से ऊपर की सीमा वाले आयकरदाताओं को भी इस श्रेणी में शामिल किया गया है। 2 लाख रुपये से कम की सीमा वाले आयकरदाताओं को इससे बाहर रखा गया है। 2 लाख रुपये और इससे कम की कमाई करने वाले आयकरदाताओं को भी यदि इसमें शामिल कर लें तो यह आंकड़ा 64.2 फीसदी पर पहुंच जाता है। 50 लाख रुपये से अधिक की कमाई करने वाले आयकरदाताओं की संख्या 0.73 फीसदी से कम है।
