सरकार को भले ही दो दो प्रोत्साहन पैकेजों से कारखानों में फिर से काम में तेजी आने की उम्मीद रही हो लेकिन आंकड़े सरकार की इस उम्मीद पर पानी फेरते दिखते हैं।
चालू वित्त वर्ष में अक्टूबर के बाद दिसंबर में भी देश के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में दो फीसदी की गिरावट आई है। आईआईपी में इस गिरावट के बावजूद सरकार को भरोसा है कि जनवरी में यह आंकड़े सुधरेंगे।
चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में दो बार आईआईपी में कमी आई है। औद्योगिक उत्पादन के इन आंकड़ों के बाद विश्लेषकों ने कहा कि सरकार को अपने पूर्वानुमान में संशोधन करना होगा। सरकार ने अनुमान जाहिर किया था कि चालू वित्त वर्ष के दौरान औद्योगिक उत्पादन में 4.8 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि इसका मतलब है कि 7.1 फीसदी की कुल आर्थिक वृध्दि दर के सरकारी पूर्वानुमान में भी कमी करनी पड़ेगी। ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इसे देखते हुए आर्थिक प्रोत्साहन के लिए रिजर्व बैंक को ब्याज दरों में कटौती करनी चाहिए।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य प्रो. रमेश तेंदुलकर कहते हैं, ‘जहां तक ब्याज दरों में कटौती का मामला है तो इस बारे में रिजर्व बैंक को सोचना होगा क्योंकि इस वक्त ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद की जा रही है।’
दूसरी ओर महंगाई लगातार दम तोड़ती नजर आ रही है। 31 दिसंबर को समाप्त हुए सप्ताह में महंगाई दर पिछले हफ्ते के मुकाबले 0.68 फीसदी कम होकर 4.39 के स्तर पर पहुंच गई है।
चालू वित्त वर्ष में दूसरी बार गिरी आईआईपी की दर
प्रोत्साहन पैकेजों का भी नहीं मिला सहारा
ब्याज दरें घटाने की मांग
महंगाई दर पहुंची पांच फीसदी से भी नीचे