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एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) ने मंगलवार को कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष 2025-26 में 6.5 फीसदी की दर से बढ़ सकती है, भले ही पहले क्वार्टर में 7.8 फीसदी की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई हो। ADB ने कहा कि भारतीय निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ का असर अर्थव्यवस्था की ग्रोथ अनुमान खासकर साल की दूसरी छमाही पर देखने को मिलेगा।
एशियन डेवलपमेंट बैंक की अप्रैल 2025 की Asian Development Outlook (ADO) रिपोर्ट में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7 फीसदी रहने का अनुमान था, लेकिन जुलाई में इसे घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया गया था। यह कदम अमेरिकी टैरिफ के कारण भारत से निर्यात पर पड़ने वाले संभावित असर के मद्देनजर उठाया गया।
पहली तिमाही (Q1) में 7.8 फीसदी की ग्रोथ मुख्यतः मजबूत घरेलू खपत और सरकारी खर्च से हुई। हालांकि, अतिरिक्त अमेरिकी टैरिफ से निर्यात में कमी आएगी, जो FY26 की दूसरी छमाही और FY27 में आर्थिक वृद्धि को प्रभावित करेगी। ADO सितंबर 2025 के अनुसार, घरेलू मांग और सेवा निर्यात की मजबूती इस प्रभाव को आंशिक रूप से कम करेगी।
निर्यात में कमी GDP को FY26 और FY27 दोनों में प्रभावित करेगी। इसके चलते, नेट निर्यात वृद्धि में पूर्वानुमान से ज्यादा कमी देखने को मिल सकती है। हालांकि, GDP पर असर सीमित रहेगा क्योंकि निर्यात का GDP में भागीदारी अपेक्षाकृत कम है। इसके अलावा अन्य देशों में निर्यात बढ़ा, सेवा निर्यात मजबूत और घरेलू मांग को वित्तीय और मौद्रिक नीति से बढ़ावा मिलेगा।
ADO के अनुसार, चालू वित्तीय वर्ष में राजकोषीय घाटा बजट अनुमान 4.4% से अधिक होने की संभावना है, जिसका कारण GST कटौती के चलते कर राजस्व में कमी और व्यय स्तर बनाए रखने की आवश्यकता है। फिर भी, यह FY25 में रिकॉर्ड 4.7% से कम रहेगा।
चालू खाता घाटा FY25 में GDP का 0.6% था, जो FY26 में 0.9% और FY27 में 1.1% तक बढ़ने की संभावना है। आयात वृद्धि सीमित रहेगी, विशेषकर ब्रेंट क्रूड कीमतों में गिरावट के कारण पेट्रोलियम आयात कम होंगे।
चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर का अनुमान 3.1 फीसदी पर घटाया गया है, क्योंकि खाने-पीने की चीजों की कीमतें अपेक्षा से जल्दी कम हुई हैं। कोर मुद्रास्फीति FY26 में लगभग 4 फीसदी रहने की संभावना है, जबकि FY27 में खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी के चलते अनुमानित मुद्रास्फीति बढ़ाई गई है।
FY26 के पहले 4 महीनों में खुदरा महंगाई दर 2.4% रही। इसके चलते आरबीआई ने बड़ी दर कटौती की। रेपो दर को फरवरी और अप्रैल में 25 बेसिस पॉइंट और जून में 50 बेसिस पॉइंट घटाकर 5.5% कर दिया गया।
साथ ही, सितंबर और नवंबर 2025 में कैश रिजर्व रेशियो में 100 बेसिस पॉइंट की कटौती की गई, जिससे बैंक लिक्विडिटी बढ़ी।इसके चलते, नई रुपये लोन की बैंकिंग दर में 60 बेसिस पॉइंट की कमी और 10-वर्षीय सरकारी सिक्योरिटीज का यील्ड 32 बेसिस पॉइंट गिरा।
FY26 के पहले 4 महीनों में केंद्रीय सरकार का व्यय राजस्व से तेज बढ़ा, जिससे राजकोषीय घाटा बढ़ा। प्रत्यक्ष कर संग्रह में 7.5% की गिरावट के बावजूद, RBI से ₹2.7 ट्रिलियन लाभांश मिलने से राजस्व में 4.8% की वृद्धि हुई। पूंजी व्यय 32.8% और चालू व्यय 17.1% बढ़ा। खाद्य सब्सिडी में 9.6% की गिरावट और उर्वरक सब्सिडी में 36.9% की वृद्धि हुई। वहीं, ग्लोबल ट्रेड में अनिश्चितताओं के चलते प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि धीमी रही।