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अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लटनिक ने आज कहा कि भारत को शुल्क दरों में कमी लाने की आवश्यकता है क्योंकि वह दुनिया में सबसे अधिक शुल्क वसूलने वाले देशों में शामिल है। लटनिक ने कहा कि अमेरिका भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग उत्पादों के लिए करार करने के बजाय व्यापक आधार वाले व्यापार समझौते करने में दिलचस्पी रखता है।
इंडिया टुडे टेलीविजन से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘आप हमारे साथ जैसा व्यवहार करते हैं, हम भी आपके साथ वैसा ही करेंगे। भारत दुनिया में सबसे अधिक शुल्क वसूलने वाले देशों में है और इस मुद्दे पर भारत और अमेरिका के बीच विशेष संबंधों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता होगी।’
उन्होंने कहा, ‘भारत ने अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए ऊंचे शुल्क लगाए हैं और अमेरिका में उसके निर्यात पर कम शुल्क लगता है। ऐसे में इस संतुलन के स्तर को बदलना होगा।’ लटनिक का यह बयान इस हफ्ते की शुरुआत में वाशिंगटन में भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ उनकी बैठक की पृष्ठभूमि में आया है। 2 अप्रैल से बराबरी शुल्क लागू होने से पहले गोयल ने डॉनल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन के प्रमुख अधिकारियों से मुलाकात की थी।
इस बीच भारत और अमेरिका अगले 7 से 8 महीने में पारस्परिक लाभकारी व्यापार करार को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। इससे पहले दिन में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार संबंधों को प्रगाढ़ बनाने पर विचार कर रहा है। इसके तहत द्विपक्षीय व्यापार समझौते के माध्यम से शुल्क और गैर-शुल्क बाधाओं को कम किया जा सकता है। पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान द्विपक्षीय व्यापार करार करने पर दोनों देशों ने सहमति जताई थी।
कृषि क्षेत्र को खोलना व्यापार वार्ता में भारत के लिए चुनौतीपूर्ण होगा मगर लटनिक ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वह अपना बाजार खोलेगा। उन्होंने कहा, ‘आप यह नहीं कह सकते कि इस बातचीत का मुद्दा नहीं है। व्यापार करने का सही तरीका यह है कि हर चीज पर बात हो और इस पर समझदारी के साथ आगे बढ़ा जाए। ऐसा संभव है कि कुछ उत्पादों के लिए कोटा हो और कुछ उत्पादों की सीमाएं हों।’
अमेरिका के राष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद से ही डॉनल्ड ट्रंप ने देश के बढ़ते व्यापार घाटे को पाटने के लिए विनिर्माण को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन पर जोर देने का अपना इरादा स्पष्ट कर दिया है। बराबरी का शुल्क लगाने के निर्णय के अलावा अमेरिका अन्य देशों के शुल्क, कर और गैर-शुल्क बाधाओं के अनुरूप स्टील, एल्युमिनियम और कारों जैसी वस्तुओं पर भी शुल्क लगाने की योजना बना रहा है। मेक्सिको और कनाडा पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की भी योजना है और चीन के निर्यात पर पहले ही शुल्क लगाए जा चुके हैं।
ट्रंप ने कई बार भारत को बहुत ज्यादा शुल्क लगाने वाला देश बताया है। ट्रंप ने कहा कि अभी लगाए गए शुल्क अस्थायी और कम हैं लेकिन मुख्य शुल्क बराबरी वाले होंगे, जो 2 अप्रैल से लागू होंगे।
नोमूरा के अनुसार भारतीय उत्पादों पर अमेरिका में निर्यात पर औसतन 3 फीसदी शुल्क लगाता है जबकि अमेरिका के मामले में यह 9.5 फीसदी है।