प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत शुल्क के कारण रद्द किए गए निर्यात ऑर्डरों के बाद अतिरिक्त उत्पादन की खपत और स्थानीय उद्योगों को बचाने के लिए सरकार विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के नियमों में बदलाव पर काम कर रही है। इन बदलावों में एसईजेड इलाकों में बने उत्पादों को तैयार उत्पाद के बजाय कच्चे माल पर शुल्क छूट के आधार पर घरेलू बाजार में इनकी बिक्री का अनुमति दिया जाना शामिल हो सकता है।
इस समय एसईजेड में पूरी तरह से तैयार माल पर पूर्ण सीमा शुल्क के भुगतान पर इन जोन के बाहर घरेलू क्षेत्र में बेचने की अनुमति मिलती है। अगर बदलाव लागू किया जाता है तो इससे मूल्यवर्धन और एसईजेड में विनिर्माण में तेजी आने की संभावना है, क्योंकि इससे आयात कर शुल्क की तुलना में कर कम रहने की उम्मीद है।
वाणिज्य विभाग और वित्त मंत्रालय का राजस्व विभाग एसईजेड मे कुछ सुधारों पर काम कर रहे हैं, जिससे नीति में लचीलापन आ सके। इस माह की शुरुआत में इस मसले पर उच्च अधिकारियों के बीच चर्चा हुई है।
सरकार के अधिकारियों ने कहा कि इन अतिरिक्त शुल्कों से पैदा होने वाला एक गंभीर जोखिम ऑर्डर के स्तर में आई गिरावट है। खासकर एसईजेड आधारित इकाइयों में ऑर्डर घटे हैं, जो श्रम केंद्रित उद्योगों के निर्यात में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। इनमें रत्न एवं आभूषण, इलेक्ट्रिकल्स आदि क्षेत्र शामिल हैं।
एसईजेड को उत्पादन की मात्रा यथावत रखने में मदद करने से बढ़ी हुई लागत का समायोजन अधिक उत्पादन में हो सकेगा और इससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बरकरार रह सकेगी। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि इससे दीर्घावधि के हिसाब से निर्यात को लाभ होगा।
इस समय एसईजेड अपने उत्पादों की घरेलू बाजार में बिक्री कर सकते हैं, लेकिन उन्हें सीमा शुल्क सहित कई तरह के कर का भुगतान करना होता है। इसकी वजह से उत्पाद बहुत महंगा हो जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि विशेष आर्थिक क्षेत्र देश के भीतर के ऐसे क्षेत्र हैं जो विभिन्न आर्थिक विनियमों के अधीन हैं, तथा प्रभावी रूप से विदेशी क्षेत्र के रूप में माने जाते हैं, तथा इनका प्राथमिक ध्यान निर्यात को बढ़ावा देने पर होता है। एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ एक्सपोर्ट ओरिएंटेड यूनिट्स ऐंड एसईजेड के डायरेक्टर जनरल आलोक चतुर्वेदी ने कहा कि अमेरिका द्वारा शुल्क लगाए जाने से अमेरिका को निर्यात करने वाली एसईजेड इकाइयों और ईओयू पर अतिरिक्त बोझ बढ़ा है और उन्हें सरकार के समर्थन पैकेज में शामिल किया जाना चाहिए। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान इस तरह के क्षेत्रों से अमेरिका को निर्यात 21.60 अरब डॉलर रहा है।