वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत वित्त वर्ष 23 से चालू वित्त वर्ष में ज्यादा टिकाऊ वृद्धि के साथ और तेजी से पुनरुद्धार की राह पर चल रहा है। वित्त मंत्रालय की ओर से 2022-23 के लिए गुरुवार को जारी सालाना वार्षिक समीक्षा में यह कहा गया है।
हालांकि रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि भू-राजनीतिक तनावों, वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में उतार चढ़ाव तेज होने, वैश्विक शेयर बाजारों में तेज गिरावट , अलनीनो के ज्यादा असर, कारोबारी गतिविधियों में सुस्ती और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की आवक में सुस्ती ऐसी वजहें हैं, जो वृद्धि की रफ्तार पर असर डाल सकती हैं।
वित्त मंत्रालय ने कहा है, ‘इनका असर बढ़ने से आने वाली तिमाहियों में वृद्धि पर असर पड़ सकता है और और बाहरी क्षेत्र वित्त वर्ष 24 के वृद्धि के परिदृश्य पर असर डाल सकता है।’
मई के लिए मासिक आर्थिक रिपोर्ट के साथ जारी सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 23 की अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च) में मजबूती रहने के कारण पूरे साल के लिए जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही है, जो फरवरी के 7 प्रतिशत वृद्धि के अनुमान की तुलना में ज्यादा है।
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इसमें कहा गया है, ‘वृद्धि के अनुमान में इस उलटफेर के बाद चालू साल में वृद्धि की गति बेहतर रहने का अनुमान है। अनुमान लगाने वाली कुछ एजेंसियों ने भी उम्मीद जताई है और उन्होंने वित्त वर्ष 24 के लिए अपना वृद्धि अनुमान बढ़ा दिया है।’ हालांकि रिपोर्ट में वित्त वर्ष 24 के लिए वृद्धि का कोई नया अनुमान नहीं दिया गया है। वृहद आर्थिक अनुमान लगाने वाली एजेंसियों द्वारा चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि का अनुमान 6 से 6.5 प्रतिशत के बीच रखा गया है।
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रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि भारत का निर्यात घटने का जोखिम है। इसकी वजह यूरोपीय संघ द्वारा कार्बन बॉर्डर एडजेस्टमेंट मैकेनिज्म (CBAM) पेश करना, रूस यूक्रेन के बीच चल रहा टकराव जारी रहना, मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति में ध्रुवीकरण का जोखिम और व्यापार पर प्रतिबंध लगाए जाने की संभावना है।
इसमें कहा गया है, ‘जैसा कि IMF की रिपोर्ट में कहा गया है, भौगोलिक दूरी से ज्यादा राजनीतिक दूरी होने की वजह से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रवाह भी प्रभावित हो सकता है।’
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वित्त मंत्रालय ने कहा है कि आपूर्ति संबंधी बुनियादी ढांचे में निवेश की वजह से भारत में लंबे समय तक आर्थिक वृद्धि रहने की संभावना है।