विदेश मंत्री एस जयशंकर ने द्विपक्षीय व्यापार समझौतों को महत्त्वपूर्ण बताते हुए कहा कि भारत ने पिछले 11 वर्षों में उन देशों के साथ व्यापारिक करार किए हैं, जिनके बाजार अधिक परिपक्व हैं और जो पूर्वी एशिया के देशों की तुलना में ज्यादा पारदर्शी तथा नियमों का पालन करने वाले हैं। जयशंकर ने कहा कि भारत प्रमुख बाजारों के साथ ही मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) करना चाहता है। ब्रिटेन के साथ करार लगभग अंतिम रूप ले चुका है, यूरोपीय संघ के साथ बातचीत भी काफी आगे बढ़ चुकी है। अमेरिकी अधिकारियों के साथ कई दौर की वार्ता हो चुकी है।
दूरदर्शन से साक्षात्कार में विदेश मंत्री ने कहा कि आर्थिक सुधारों के बाद के वर्षों में अधिकतर व्यापार समझौते दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के साथ किए गए थे। इसने हमारा व्यापारिक संतुलन बिगाड़ दिया, क्योंकि इनमें से कई अर्थव्यवस्थाएं भारत के साथ होड़ में थीं और बाजार तक उनकी पहुंच नहीं थी। उन्होंने कहा कि ऐेसे समय अपनी रणनीति में सुधार करना और ऐसे अधिक परिपक्व बाजारों के साथ समझ विकसित करना जरूरी था, जो अधिक पारदर्शी और कायदों पर चलने वाले हैं।
जयशंकर ने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए व्यापार समझौते महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां हैं। एफटीए पर भारत के प्रयास देखने लायक हैं। भारत वर्ष 2019 में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसेप) व्यापारिक समूह में शामिल नहीं हुआ, जिसमें 10 सदस्य आसियान समूह और चीन, ऑस्ट्रेलिया व जापान सहित अन्य एशिया-प्रशांत अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले 11 वर्षों में व्यवस्थित रूप से अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने, सभी प्रमुख देशों के साथ अच्छे संबंध रखने के साथ अन्य क्षेत्रों के साथ भी ऐसा ही संतुलन कायम करने की कोशिश की है। पिछले एक दशक में भारत की विदेश नीति बहुध्रुवीय दुनिया की योजना के इर्द गिर्द केंद्रित रही है। उन्होंने कहा, ‘यह केवल हमारी इच्छाओं का सवाल नहीं है, दुनिया अब इसी दिशा में आगे बढ़ रही है। यही वजह है कि भारी दबाव के बावजूद भारत ने रूस के साथ अपने संबंधों को बनाए रखा।’ अमेरिका के साथ भारत के संबंधों के बारे में उन्होंने कहा, ‘जहां तक अमेरिका का संबंध है, तो अनिश्चितता दिखती है, इसलिए व्यवस्थित स्तर पर इन्हें स्थिर करने का प्रयास किया जा रहा है।’